दृष्टिहीन अनूप की प्रतिभा ने बालीवुड में बनाई पहचान
बहराइच : कोई जब राह न पाए, मेरे संग आए, मेरी दोस्ती मेरा प्यार... सत्तर के दशक में मोहम्मद रफी का गाया दोस्ती फिल्म का यह गीत पयागपुर के नेजाभार के रहने वाले दृष्टिहीन अनूप पर प्रासंगिक है। सात साल की उम्र में स्वजन उसे एक कैंप में छोड़ गए थे। यहां संगीत शिक्षिका ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसकी गायकी को निखार दिया। अब उसे बालीवुड के टीवी शो द सिंगिंग आइकान में अपनी आवाज का जादू दिखाने का मौका मिला है। दृष्टिहीन अनूप के पिता रामदीन उसके मामा के चंडीगढ़ स्थित कपड़ा प्रेस करने की दुकान पर काम करते हैं। चार भाई व एक बहन में सबसे बड़े अनूप को बेसिक शिक्षा विभाग के पुलिस लाइन में चलने वाले एक्सिलरेटेड कैंप में परिवार के लोग छोड़ गए थे। यहां करीब 60 बच्चे रहते थे। कैंप से संगीत शिक्षिका रंजीता श्रीवास्तव सोनी उसे अपने मेट्रो डांस एकेडमी में ले आईं। यहां उसकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास किया। उसकी पढ़ाई की फीस भी वही जमा करती थीं। अब अनूप लखनऊ के पारा में स्थित स्पर्श राजकीय दृष्टिबाधित स्कूल में कक्षा दस में पढ़ रहा है। मुंबई के रमीबुक पालघर में बीते चार अगस्त को टीवी पर आने वाले शो द सिंगिंग आइकान का आडिशन आयोजित हुआ। इसमें पूरे भारत से 170 बच्चे शामिल हुए, जिसमें 30 कलाकारों का चयन हुआ है। अब वह दूसरे राउंड में अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दे रहा है। प्रसिद्ध गायक सलमान ने सराहा दृष्टिहीन अनूप की प्रतिभा को आडिशन के दौरान निर्णायक मंडल में शामिल मशहूर गायक मोहम्मद सलमान ने पहचान लिया। उसे प्रोत्साहित करते हुए हर स्तर पर सहयोग की बात कही। अपनी देखरेख में प्रशिक्षण देने के लिए भी बुलाया है। आनलाइन दे रहीं हैं क्लास आडीशन में चयन होने के बाद अगले राउंड की तैयारी भी शिक्षिका रंजीता करा रही हैं। वह अनूप को आनलाइन प्रशिक्षण दे रही हैं। बीच-बीच में उनको बहराइच भी बुला लेती हैं। अनूप ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि सोनी मैडम हमें गुरु के रूप में मिली हैं।
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