Bahraich Violence: रामगोपाल की हत्या के बाद सात दिन तक सुलगता रहा महाराजगंज, दोष सिद्ध होने पर मिला न्याय
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महसी के महाराजगंज कस्बे में मूर्ति विसर्जन जुलूस पर पथराव और फायरिंग की घटना हुई थी, जिसमें रामगोपाल मिश्र की मौत हो गई ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बहराइच। महसी के महाराजगंज कस्बे में बीते वर्ष 13 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन जुलूस पर मुस्लिम युवकों ने पथराव किया था। श्रद्धालुओं के विरोध करने पर फायरिंग भी की गई थी। इसमें एक श्रद्धालु की गोली लगने से मौत हो गई थी। इसके बाद बवाल बढ़ गया था। तोड़फोड़ व आगजनी भी हुई थी।
हरदी इलाके के महाराजगंज कस्बा में मूर्ति विसर्जन जुलूस कस्बा निवासी अब्दुल हमीद के घर के सामने पहुंचा तो मूर्तियों पर पथराव किया गया। विरोध करने पर उपद्रवियों ने फायरिंग की। इसमें रामगांव इलाके के रेहुआ मंसूर गांव निवासी 22 वर्षीय रामगोपाल मिश्र की मौत हो गई थी। इसके बाद बवाल बढ़ गया।
जिले में मूर्ति विसर्जन रोक दिया गया। जगह-जगह तोड़फोड़ व आगजनी की घटनाएं हुई। दो करोड़ से अधिक की संपत्ति उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दी थी। रह-रह कर पुलिस व उपद्रवियों के बीच गोरिल्ला युद्ध होता रहा। तत्कालीन एसपी वृंदा शुक्ला समेत डीआइजी व एडीजी हालात सामान्य करने में नाकाम रहे।
इसके बाद शासन ने सचिव (गृह) संजीव गुप्ता व अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था)/एसटीएफ चीफ अमिताभ एस को स्वयं शासन ने मौके पर भेजा। सात दिनों तक महसी महाराजगंज सुलगता रहा। जिले में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया था। मामले में 11 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
इनमें छह नामजद समेत 1304 अज्ञात लोग शामिल थे। लापरवाही बरतने के मामले में शासन ने महसी के तत्कालीन तहसीलदार रविकांत द्विवेदी को हटाते हुए सीओ रूपेंद्र गौड़, तत्कालीन थानाध्यक्ष सुरेश कुमार वर्मा व चौकी प्रभारी महसी शिवकुमा सरोज को सस्पेंड कर दिया गया था।
हालात को बेकाबू करने के लिए 12 कंपनी पीएसी, एक कंपनी आरएफ, एसटीएफ के 24 कमांडों, 400 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। मंगलवार को मामले के 10 आरोपितों पर दोष सिद्ध होने के बाद पीड़ित परिवार को इंसाफ की आस जगी है।

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