Bahraich: गेहूं की डंठल से डेकोरेटिव आइटम्स बना देश भर में कमा रहे नाम, हर महीने होती हजारों की कमाई
डीएम डा. दिनेश चंद्र की पहल पर गोपाल ने जिला कारागार में बंदियों को गेहूं के डंठल से कलाकृतियां बनाने का प्रशिक्षण दिया है। इससे कारागार के बंदी जेल में ही कलाकृतियां बनाकर कर आनलाइन बिक्री कर सकते हैं।
बहराइच, [शिवकुमार गौड़]। फसलों के अवशेष से काम की वस्तुएं बनाकर उनसे न सिर्फ हजारों रुपये कमाए जा सकते हैं, बल्कि कई परिवारों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया सकता है। इसे सच साबित किया है गोपाल गुप्त ने, जो गेहूं के डंठल से मनमोहक कलाकृतियां बनाकर देश भर में नाम रोशन कर रहे हैं। मुहल्ला काजीपुरा निवासी गोपाल गुप्त पहले पेंसिल से कागज पर कलाकृतियां बनाते थे।
वर्ष 2017 में उन्होंने गेहूं के डंठल से कलाकृतियां तैयार करने का प्रयाेग किया, जो लोगों ने बहुत पसंद किया। जब बहराइच में वन डिस्ट्रिक वन प्रोजेक्ट में गेहूं के डंठल से कलाकृति बनाने को शामिल किया गया तो अपने हुनर को आगे बढ़ाने में उन्हें जिला प्रशासन का भी सहयोग मिला। इसके बाद गोपाल ने उद्यमिता विकास संस्थान से प्रशिक्षण लिया तो उनके सपनों को पंख लग गए।
अब वह सरकार के ओडीओपी मार्ट एप के जरिए अपनी कलाकृतियों का प्रचार-प्रसार दुनिया भर में करते हैं। इनकी कलाकृतियां के कद्रदान देश भर में हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों से इनके पास आनलाइन आर्डर आते हैं। गोपाल ने बताया कि उन्हें कलाकृतियों से सारे खर्च और मजदूरी निकालकर 20 से 25 हजार तक प्रति माह आमदनी हो जाती है।
कई लोगों को दे रहे रोजगार
कलाकृतियों की मांग बढ़ रही है, इसलिए अकेले कार्य नहीं किया जा सकता। इसके लिए उन्होंने करीब 16 लाेगों को प्रशिक्षण देकर इस कार्य में लगाया है। अन्य लोगों को भी प्रति कलाकृति 1000-1200 रुपये तक मिल जाते हैं।
जेल के बंदियों को दिया प्रशिक्षण
डीएम डा. दिनेश चंद्र की पहल पर गोपाल ने जिला कारागार में बंदियों को गेहूं के डंठल से कलाकृतियां बनाने का प्रशिक्षण दिया है। इससे कारागार के बंदी जेल में ही कलाकृतियां बनाकर कर आनलाइन बिक्री कर सकते हैं।