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    Invader Masood Ghazi बहराइच में 800 साल बाद नहीं लगाया जाएगा आक्रांता मसूद गाजी की याद में जेठ का मेला, प्रशासन का अनुमति देने से इंकार

    Updated: Sat, 03 May 2025 03:54 PM (IST)

    Invader Masood Ghazi रामजन्मभूमि पर हमले की कोशिश करने के साथ सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटने वाले महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी ने भी की थी। दिल्ली मेरठ बुलंदशहर बदायूं और कन्नौज के राजाओं को रौंदता हुआ देवस्थानों को ध्वस्त करता हुआ बाराबंकी तक आ गया था। वह बहराइच पर आक्रमण कर अयोध्या पहुंचना चाहता था।

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    बहराइच : सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह

    जागरण संवाददाता, बहराइच : संभल में नेजा मेले की अनुमति न मिलने से चर्चा में आए आक्रांता सालार मसूद गाजी के नाम पर यूपी में लगने वाले मेलों का विरोध अब और गहरा गया है। रामजन्मभूमि पर हमले की कोशिश और सोमनाथ मंदिर को कई बार लूटने वाले महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी की याद में बहराइच में लगने वाला जेठ का मेला इस बार नहीं लगाया जाएगा। बहराइच में 800 साल बाद आक्रांता मसूद गाजी की याद में जेठ का मेलानहीं लगाया जाएगा।

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    मेला सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर हर वर्ष 15 मई से 15 जून तक एक माह लगता था। जिला प्रशासन ने एलआईयू की रिपोर्ट के बाद मेला पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने मेले की अनुमति देने से इंकार कर दिया है।

    संभल के नेजा मेला की तरह मसूद गाजी की याद में बहराइच में जेठ मेला को भी अनुमति नहीं मिली है। एलआईयू ने बहराइच डीएम और देवीपाटन कमिश्नर को रिपोर्ट भेजी थी, इसके बाद सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर मेले की अनुमति नहीं दी गई है। प्रशासन ने मेले को स्थगित कर दिया है और ठेकों का नोटिस भी स्थगित कर दिया गया है।

    डीएम और कमिश्नर के साथ बैठक के बाद सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह के प्रबंधन समिति ने भी मेला को न आयोजित कराने का फैसला लिया है। बहराइच में 15 मई से 15 जून में तक सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर आयोजित होने वाले मेला को "गाजी मियां का मेला" भी कहा जाता है। मेले में करीब 400 से ज्यादा बिन दूल्हे की बारात आती थी, जो मेले का मुख्य आकर्षण का केंद्र होती थी। मेले में पांच लाख से अधिक हिंदू-मुस्लिम जायरीन आते थे। इस वर्ष मेले को स्थगित करने के प्रशासन के फैसले पर कुछ लोगों ने रोक लगाने की मांग भी की और डीएम को ज्ञापन दिया था कि मेले पर रोक लगानी चाहिए।

    सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने बताया कि 15 अप्रैल को प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष बकाउल्ला ने डीएम की अध्यक्षता में वार्षिक जेठ मेला कराने को लेकर बैठक के लिए पत्र दिया था। एएसपी सिटी रामानंद कुशवाहा, एसडीएम सदर पूजा चौधरी, ईओ नगरपालिका प्रमिता सिंह, एईपी जिला पंचायत अधिकारी ने आख्या प्रस्तुत की। इसमें कानून व्यवस्था के दृष्टिगत व विभिन्न परिस्थितियां उत्पन्न होने का कारण इस समय होने वाले जेठ मेले की अनुमति दिया जाना उचित नहीं है। इसी क्रम में दरगाह मेला प्रबंध समिति को भी अवगत करा दिया गया है।

    क्षेत्राधिकारी नगर पहुंप सिंह ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पहलगाम की आतंकी घटना, वक्फ बिल संशोधन व बीते दिनों संभल में हुई हिंसा को लेकर जनता में आक्रोश व क्रोध है। इन परिस्थितियों में मेले में लाखों की भीड़ आती है, जिसके दृष्टिगत शांति व सुरक्षा बनाए रखने को लेकर जेठ मेले के आयोजन की संस्तुति नहीं की गई है।

    संभल में नेजा मेले पर रोक के बाद जिले के कई हिंदू संगठनों ने दरगाह मेले पर रोक लगाने की मांग की थी। कई हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन भी किया था। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी बहराइच दौरे के दौरान कहा था कि किसी भी आक्रांता का महिमामंडन गलत है और इस मेले पर रोक लगनी चाहिए। इससे पहले करीब एक हजार वर्ष से आयोजित होने वाले संभल के नेजा मेले का आयोजन भी इस बार नहीं किया गया है। पुलिस की ओर से कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति को देखते हुए इसके आयोजन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। नेजा कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी ने इसका दावा किया है।

    • बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह है। यहां उसकी याद में जेठ मेला का आयोजन होता है।
    • मेले में जियारत करने के लिए बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचते हैं।
    • इसमें आम लोगों के साथ-साथ नामी लोग भी शिरकत करते रहे हैं।

    कौन था सैयद सालार मसूद गाजी

    सैयद सालार मसूद गाजी को मानने वाले उसे सूफी संत गाजी मियां के नाम से जानते हैं। वह दिल्ली, मेरठ, बुलंदशहर, बदायूं व कन्नौज के देवस्थानों को ध्वस्त करता हुआ बाराबंकी तक आ गया और अयोध्या तक पहुंचना चाहता था। स्थानीय इतिहासकारों का मानना है कि जब 1033-34 के करीब वह बहराइच पहुंचा तो राजा सुहेलदेव ने अन्य स्थानीय राजाओं के साथ मिलकर उसे युद्ध में हराया और वध कर दिया। जहां उसका वध किया गया, वहीं बाद में गाजी मियां की मजार स्थापित की गई। इसी जगह पर एक सूर्य कुंड स्थापित है जिसके अवशेष अब भी मिलते हैं। बाराबंकी, प्रतापगढ़, प्रयागराज, भदोही और वाराणसी में भी गाजी मियां के नाम से चर्चित दरगाहों पर मेला लगता है।