अनारकली झील अप्रवासी पक्षी विमुख
बहराइच : लगभग दस किलोमीटर क्षेत्र में फैली ऐतिहासिक अनारकली झील प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अपना वजूद खो रही है। जलकुंभी एवं रेत से पट रही इस झील से अप्रवासी पक्षियों ने भी मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है।
सुविख्यात दरगाह शरीफ से लगभग तीन किलोमीटर दूरी पर स्थित इस झील का बड़ा महत्व है। झील के निर्मल जल से स्नान करने बड़ी संख्या में प्रतिदिन लोग जाते हैं। झील के आसपास किसी प्रकार की कोई सीढि़या आदि न होने के कारण आगे कीचड़ ही कीचड़ भरा रहता है। झील के अंदर सेवार और जलकुंभियों की भरमार है। इसके बाहर झील का निर्मल जल नजर ही नहीं आता है। पौराणिक झील अपना वजूद खोने की कगार पर है। देखरेख की समुचित व्यवस्था न होने के कारण इस जल में भैंस पागुर किया करते हैं। दरगाह शरीफ के जेठ मेले के दौरान इस झील में नहाने वालों का तांता दिन रात लगा रहता है। झील के निकट ही बहुत ही पुराना जर्जर कर्बला और गाजी मियां का बैठका बना है जिसकी जियारत करना जायरीन नहीं भूलते हैं। झील से लेकर दरगाह तक का रास्ता रेलवे लाइन के इस पार तक लगभग दो किलोमीटर बहुत ही ऊबड़ खाबड़ एवं जंगली झाड़ियों से आच्छादित है। इस कारण झील तक पहुंचना दुरुह हो जाता है। झील के किनारे कभी पान की खेती हुआ करती थी। अनारकली पान बहुत ही मशहूर था जो अपने स्वाद एवं खुशबू के कारण लखनऊ, कानपुर, बरेली, कोलकता तक में मशहूर था। अनारकली झील के सौन्दर्यीकरण के लिए हर साल जेठ मेले के दौरान प्रशासन द्वारा बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती हैं। मेला समाप्त होते ही घोषणा टांय टांय फिस्स हो जाती है। दरगाह प्रबंध समिति के नायब सदर शमशाद अहमद का कहना है कि दरगाह और अनारकली झील के मध्य पड़ने वाली रेलवे क्रासिंग पर यदि आवागमन के रास्ते के समुचित व्यवस्था हो जाए तो झील पर्यटन के रूप में विकसित हो सकती है। उनका कहना है कि दरगाह शरीफ में स्थित बाउली कुएं से अनारकली झील का अंदरुनी ताल्लुक है। बरसात के दिनों में जब झील में पानी बढ़ जाता है तो बाउली कुएं का जल स्तर भी बढ़ जाता है।
-अलीमुलहक
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