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    गाजी की सलामी से पहले आखिरी सलाम!

    By Edited By: Updated: Sun, 20 May 2012 07:42 AM (IST)

    बहराइच, खुदा हाफिज कह कर घर से ख्वाजा की दरगाह के लिए निकले जायरीन ने बामुश्किल दो घंटे का ही सफर तय किया था। सुल्तानपुर से बहराइच में गाजी के यहां सलामी की हाजिरी से पहले एक हादसे में आखिरी सलाम कर अलविदा हो गए। पलक झपकने के साथ बस में लगे मामूली झटके से जब नींद खुली तो चारो तरफ बस में खुद को अंगार से घिरा पाया। बस को आग की लपटों के आगोश में देख अंबेडकरनगर के थानाक्षेत्र सरैंया के रहने वाले सरदार अली बेसुध हो गए। इसी के साथ बस में चीत्कार के साथ वृद्धों, बच्चों और महिलाओं का दम घुटने लगा। सीना दहाड़ मार रहीं शैफुल निशां बस अपने पोते बब्बू को बस में ढूंढने की जिद कर रही थीं। उनकों ढांढ़स बंधा रहीं रहीमुल निशां शैफुल को संभालने में ही गस खाकर गिर पड़ीं। सरदार अली फफक-फफक कर रोते हुए बोले, कि जाने कितनों ने गाजी को सलामी से पहले ही अंतिम सलाम कर लिया। सरदार अली यात्रा के एजेंट बद्दल को कोसते हुए कहने लगे कि जाने किस तरह की बस कराई कि यह हादसा हो गया, जिसमें लगभग बच्चे, वृद्धों व महिलाओं को मिलाकर 80 लोग सवार थे। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती की अजमेर शरीफ जाने के लिए वर्षो का ख्वाब पूरा होने की खुशी में परिवारीजनों ने खुदा हाफिज कह कर घर से विदा किया था। किसी को क्या पता था कि हमेशा के लिए साथी खुदा हाफिज हो जाएंगे।

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    अंबेडकरनगर जिला पमोली गांव के रहने वाले सद्दीक अली 86 के आंसू तो थमने का नाम नहीं ले रहे थे। जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर पहुंचने पर ख्वाजा के यहां जाने को नसीब हुआ था। वह पूंछने पर फूट-फूट कर रो पड़ते हैं। अपने साथी तस्दुक, मुस्तकीम और हसन से वह बिछड़ गए हैं। उनकी सलामती के लिए खुदा से दुआ मांगते हुए बताते हैं कि हादसे के बाद वह फाटक खुलते ही बाहर आ गए थे, क्योंकि उनकी सीट बस के फाटक के पास की थी। बाकी साथी अपने परिवारों के साथ पीछे बैठे थे। सद्दीक ने बाहर आकर गांव वालों को गुहार लगाने में जुट गए। बचाओ-बचाओ की आवाज पर दौड़े आसपास के ग्रामीणों ने तुरंत धू-धू कर जल रही बस के शीशों को तोड़ना शुरू कर दिया। उसके बाद के मंजर की बताने के साथ सद्दीक बेसुध हो गए। जागरण संवाददाता ने तत्काल सद्दीक को पास से पानी लाकर दिया। थोड़ा संयत होने पर सद्दीक ने कहा अपनों को बस के अंदर भरभराकर जलते हुए देखता रहा, पर कुछ न कर सका। खुद को कोसते हुए सद्दीक अपनी जिंदगी के बदले मासूमों की जिंदगी बख्श देने की खुदा से भीख मांगने पर फफक-फफक कर रोने लगे। सद्दीक के अनुसार बस की ऊपरी सीटों पर बच्चों को सुलाया गया था। हादसे के बाद बच्चों को सलामत करने के फेर में पुरुष व महिलाएं भी बाहर नहीं निकल पाई।

    इनसेट: मानव अंगों की दुर्गध

    बहराइच : गोंडा बहराइच मार्ग के चिलवरिया के आसपास के गांवों तक बस के धू-धू जलने के दौरान जिंदा लोगों के राख में तब्दील होने का क्रम लगभग आधे घंटे तक चलता रहा। ग्रामीणों की मशक्कत से वृद्धों व महिलाओं को कठिनाई से बाहर निकाला जा सका। मानव अंगों के अंगार के धुएं की दुर्गध से लोग व्यथित हो गए।

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