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    उल्टा सूखा रोग छीन रहा हरियाली

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    Updated: Fri, 28 Oct 2016 11:50 PM (IST)

    बहराइच : आम के पेड़ो में लगने वाला उल्टा सूखा रोग व तना छेदक कीट हरियाली का दुश्मन बन रहा है। रोग के

    बहराइच : आम के पेड़ो में लगने वाला उल्टा सूखा रोग व तना छेदक कीट हरियाली का दुश्मन बन रहा है। रोग के प्रकोप से आम का हरा भरा पेड़ कुछ महीनों में ही सूख कर ढांचे में तब्दील हो जाता है। उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यदि किसान समय पर सतर्क हो जाएं तो हरियाली का नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

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    बागवानी फसलों में फलों के राजा आम का उत्पादन जिले में प्रमुखता से किया जाता है। बहराइच सदर, नानपारा, कैसरगंज, पयागपुर तहसीलों में आम के बाग बहुतायत में मिलते हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक लगभग पांच हजार हेक्टेयर में दशहरी आम का रकबा है। इन दिनों आम के पेड़ में तना बेधक कीट एक प्रमुख समस्या बन कर उभरा है। इस रोग का कीड़ा पौधे के तने में छेद कर अंदर घुस जाता है। सावधानी से पेड़ के तने का निरीक्षण करने पर किसानों को कीड़े के होने की प्रारंभिक दशा में छाल पर चूर्ण जैसा पदार्थ देखने को मिलता है। तना गीला हो जाता है। कीट के प्रौढ़ हो जाने पर तने में सुराख साफ- साफ दिखाई देने लगता है। उपचार न होने की दशा में कीट तने को खोखला कर देते हैं। इससे पेड़ सूखने लगता है। वहीं उल्टा सूखा रोग लगातार सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के चलते तेजी पकड़ता है। इसमें पत्तियां ऊपर से सूखना शुरू होती हैं जो नीचे की ओर बढ़ती जाती हैं। लगातार एनपीके उर्वरक डालते रहने व सूक्ष्म पोषक तत्वों की अनदेखी से पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच जाता है।

    ऐसे करें रोकथाम : उद्यान निरीक्षक आरके वर्मा ने बताया कि आम तना बेधक कीट वर्ष में सिर्फ दो माह मई व जून के महीने में बाहर रहता है। इस समय नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस व साइपरमेथलीन दवा का स्प्रे करें। बाद में रोकथाम के लिए तना छिलाई कर सुराख में साइकिल की तीली डाल कर प्रौढ़ कीट को मारा जा सकता है। अंडे व बच्चों को नष्ट करने के लिए मोनोक्रोटोफॉस रसायन के घोल को रुई में भिगो कर सुराख में डाल दें व ऊपर से गाय का गोबर व मिट्टी मिलाकर लेप दें। देशी उपचार में दो किलोग्राम तंबाकू व ढाई सौ ग्राम फ्यूराडान प्रति पेड़ की जड़ में डालने से भी रोकथाम हो सकती है।

    हरी खाद रोकथाम में कारगर : सूक्ष्मपोषक तत्वों की भरपाई के लिए बाग में हरी खाद की फसलों को उगाना कारगर तरीका है। इसके अलावा दलहनी फसलें उगाकर भी काफी हद तक सूक्ष्म तत्वों की जरूरत पूरी की जा सकती है। उद्यान निरीक्षक ने बताया कि दस साल के बाग में प्रति पेड़ 200 ग्राम तूतिया, 200 सुहागा, 350 बुझा हुआ चूना 250 ¨जक सल्फेट मिला कर पेड़ की जड़ में डालना चाहिए।

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