Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उसूलो के पक्के थे सरदार जोगिन्दर सिंह

    By Edited By:
    Updated: Mon, 11 Feb 2013 10:49 PM (IST)

    जरवल(बहराइच): उसूल के पक्के और व्यवहार से सरल सरदार जोगिन्दर सिंह की चर्चा जिले के हर बुद्धजीवी की जुबान पर आज भी है। वह एक ऐसे शख्स थे जिन्हें स्वतंत्रता आंदोलन के महारथी के रूप में जाना जाता है। गांधी-नेहरू परिवर से जुड़ कर स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व राज्यपाल की पुण्य तिथि 11 फरवरी को है। वह ऐसे नेता थे जिनकी गहरी पैठ सियासत के गलियारों में थी। उड़ीसा एवं राजस्थान के राज्यपाल के रूप में काम करने वाले सरदार जोगिन्दर सिंह ने कभी राजनीति में पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उल्लेखनीय है कि स्वाधीनता संग्राम सेनानी सरदार जोगिन्दर सिंह का जन्म 3 अक्टूबर 1903 हुआ था। इनके पिता का नाम सरदार औतार सिंह था। जोगिन्दर सिंह काल्विन तालुकेदार कॉलेज लखनऊ में शिक्षा प्राप्त कर मिलिट्री कॉलेज पि्रंस आफ के प्रथम बैच में 1922 में प्रवेश किया, लेकिन पंजाब के अकाली आंदोलन के कारण उन्होंने 1923 में कॉलेज छोड़ दिया। सरदार साहब ने 34 वर्ष की आयु में राजनीति में प्रवेश किया। 1932 में असहयोग आंदोलन में लखनऊ में बंदी होने के बाद 6 माह तक कारागार में रहे। 1940 में सत्याग्रह में पुन: बंदी बनाया गया था। 15 माह का कठोर कारावास का दंड दिया गया तथा सेन्ट्रल एसेंबली में उन्हें निष्कासित भी कर दिया गया। कारागार से मुक्त होने पर बनारस क्षेत्र से वे एसेंबली के निर्वाचन में निर्विरोध घोषित किए गए। 19 अगस्त 1942 को भारत छोड़ा आंदोलन में वह फिर बंदी बनाए गए। डेढ़ वर्ष तक जेल में रहने के बाद वे जेल से मुक्त कर दिए गए। आजादी के बाद देश प्रथम लोकसभा निर्वाचन 1952 में वे कैसरगंज लोकसभा से सांसद निर्वाचित हुए। 20 सितंबर 1971 से 30 जून 1972 तक वे उड़ीसा के राज्यपाल तथा 1 जुलाई 1972 से 14 फरवरी 1917 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे। बाद में उन्होंने 1972 में भी बहराइच लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नही मिली। 11 फरवरी 1979 में 76 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद उनका देहान्त हो गया।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

    comedy show banner