यमुना का जल निर्मल बनाने के लिए डाले गए मछलियों के दो लाख बच्चे...इससे होगा यह सब
मत्स्य पालक विकास अभिकरण ने यमुना को स्वच्छ बनाने हेतु दो लाख मछली के बच्चे छोड़े। इस पहल से यमुना की जैव विविधता बढ़ेगी और मछुआ समुदाय के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के तहत रोहू, मृगल और कतला जैसी मछलियाँ छोड़ी गईं, जिससे यमुना का पारिस्थितिकी संतुलन बना रहेगा और जल प्रदूषण कम होगा।

बागपत यमुना नदी में मत्स्य पालन विभाग द्वारा छोड़े गए मछली के बच्चे। सौ. विभाग
जागरण संवाददाता, बागपत। मत्स्य पालक विकास अभिकरण ने पीएम मत्स्य संपदा योजना से यमुना को निर्मल बनाने के लिए दो लाख मछलियों के बच्चों को छोड़ा है। इससे न केवल जल निर्मल होगा बल्कि यमुना में जैव विविधता बढ़ने के साथ मछुआ समुदाय के लोगों की रोजगार की राह आसान होगी। मत्स्य विभाग ने रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को बागपत के पक्का घाट पर यमुना में रोहू, मृगल तथा कतला के 800 से 100 एमएम लंबाई के मछलियों के बच्चों को यमुना में छोड़ा है।
मत्स्य विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संतोष कुमार वर्मा ने बताया कि देसी प्रजाति की मछलियां बढ़ने से यमुना की स्वच्छता और सुंदरता बढ़ेगी तथा जल निर्मल बनेगा। यमुना का पारिस्थितिकी संतुलन बनाने और उसे संरक्षित करने में मदद मिलेगी। मछुआ समुदाय के लोगों की रोजगार की राह आसान होगी। साथ ही यमुना से मछली पकड़ने के ठेके छोड़ने से सरकार को राजस्व मिल रहा।
एसडीएम अमरचंद वर्मा तथा मत्स्य सहकारी समिति लि. बागपत के सचिव मोहित कुमार सिंह मौजूद रहे। खतरे में यमुना की निर्मलता : जल प्रदूषण से यमुना में जलजीवों की संख्या, प्रजनक मछलियों एवं प्रजनन स्थल नष्ट होने से मछलियों की संख्या घट रही है। इससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र एवं जैव विविधता पर प्रतिकूल असर पड़ा है। यमुना को ही लीजिए जहां पहले एक किमी के दायरे में प्रतिवर्ष 500 किग्रा मत्स्य उत्पादन का औसत था, लेकिन अब इसमें काफी गिरावट आई है।

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