जब किसानों ने चौधरी साहब को जन्मदिन पर 77 लाख की थैली सौंपी
1978 की रैली में गजब भीड़ जुटाकर देश को चौंकाया ...और पढ़ें

जब किसानों ने चौधरी साहब को जन्मदिन पर 77 लाख की थैली सौंपी
चौधरी चरण सिंह की जयंती पर विशेष
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-किसानों को अधिकार पाना सिखा गए थे चौधरी साहब
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जागरण संवाददाता, बागपत : भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण सिंह की आज जयंती है। वे देश के ऐसे पहले नेता थे, जिन्हें 77वां जन्मदिन मनाने के लिए किसानों ने 77 लाख की थैली सौंपकर इतिहास रचा था। ये किसानों की दीवानगी का आलम था, क्योंकि चौधरी साहब ने न केवल उन्हें जमींदारों से आजादी दिलाई बल्कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का आत्मविश्वास पैदा कर गए।
फूस के छप्पर से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे चौधरी चरण सिंह जातिवाद के विरोधी थे। वे 1939 में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव लाए थे कि जो भी हिंदू प्रत्याशी शैक्षणिक संस्था या लोक सेवा में प्रवेश करे तो उससे जाति के बारे में कुछ न पूछा जाए। केवल यह पता कर सकते हैं कि वे अनुसूचित जाति से हैं या नहीं। उन्होंने 22 मई 1954 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को चिट्ठी लिखी कि संविधान में संशोधन कर राजपत्रित पदों पर उन युवक एवं युवतियों को चुना जाए जो अंतरजातीय विवाह करें। 1967 में मुख्यमंत्री बनने पर चौ. चरण सिंह ने शासकीय आदेश जारी किया कि जाति विशेष के नाम से चल रही शिक्षण संस्थाओं का शासकीय अनुदान बंद होगा। इसका असर हुआ कि जातियों के नाम पर संचालित शिक्षण संस्थाओं का नामकरण महापुरुषों के नाम पर हो गया। 'धरा पुत्र चौ. चरण सिंह और उनकी विरासत' पुस्तक के अनुसार चौधरी साहब ने पार्टी चलाने तथा चुनाव के लिए किसी पूंजीपति से चंदा नहीं लिया।
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ये काम बेमिसाल
चौधरी साहब ने 17 मई 1939 में ऋण निवृत्ति बिल संयुक्त प्रांत धारा सभा में पास करा किसानों का कर्ज माफ कराने, जमींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार अधिनियम लागू करने, पटवारी राज से मुक्ति दिलाने, चकबंदी अधिनियम पारित कराने, फसल उपज बढ़ाने को मिट्टी परीक्षण, कृषि को आयकर से बाहर रखने, नहर की पटरियों पर चलने पर जुर्माना लगाने के ब्रिटिश काल का कानून खत्म किया। 1961 में वायरलेसयुक्त पुलिस से गश्त कराने, जमीन जोत-बही दिलाने, कृषि उपज पर अंतरराज्यीय आवाजाही पर लगी रोक हटाने जैसे काम किए।
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ऐसी थी किसानों की दीवानगी
रालोद नेता ओमबीर ढाका बताते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार के मंत्रिमंडल से चौधरी साहब को बाहर करने से किसानों में आक्रोश पनप गया। कुछ दिन बाद 23 दिसंबर 1978 को चौधरी साहब का 77वां जन्म दिन था। तब देशभर के किसानों ने चंदा कर जन्मदिन पर दिल्ली में हुई रैली में 77 लाख की थैली सौंपी थी। रैली में उमड़े जनसैलाब ने देश को चौंका दिया था। चौधरी साहब ने जन्मदिन पर मिले रुपयों से किसान ट्रस्ट का गठन किया। ये ट्रस्ट किसानों के लिए काम करता है।
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ऐसा रहा चौधरी साहब का सफर
प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था। पिता चौधरी मीर सिंह साधारण किसान तथा माता नेत्र कौर धर्मपारायण महिला थीं। जब गोद में थे तब पिता के साथ जानीखुर्द के भूपगढ़ी गांव आए। जानीखुर्द की पाठशाला से प्राथमिक शिक्षा व 1926 में मेरठ कालेज से कानून की डिग्री लेकर गाजियाबाद में वकालत शुरू की। इसके बाद बागपत को कर्मस्थली बनाकर 28 जुलाई 1978 को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।

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