Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान अब नीति निर्माण में भी बन रहे सहभागी, सीधे सरकार तक पहुंच रही बात

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 06:54 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की नीतियों से किसानों की स्थिति में सुधार हो रहा है। बागपत में आयोजित कृषि चौपाल में किसानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और सरक ...और पढ़ें

    Hero Image

    एथेनॉल उत्पादन, मिल विस्तार और निवेश से चीनी उद्योग में आया ऐतिहासिक बदलाव

    डिजिटल डेस्क, बागपत। उत्तर प्रदेश में किसानों की समृद्धि और सीधी सहभागिता पर केंद्रित योगी आदित्यनाथ सरकार की नीति अब जमीन पर अपना प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखा रही है। सोमवार को मीतली गांव में हुई पहली चौपाल के बाद बुधवार को बागपत के हिसावदा गांव में आयोजित कृषि चौपाल किसानों की सक्रिय भागीदारी और आत्मविश्वास का नया प्रमाण बनी। चौपाल में करीब साढ़े तीन सौ किसानों ने हिस्सा लिया। किसान खुले तौर पर अपने अनुभव और सुझाव साझा करते दिखे और यह भरोसा प्रकट किया कि उनकी बात सीधे सरकार तक पहुंच रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग की उपलब्धियों का सकारात्मक असर अब गांवों के आर्थिक माहौल में देखने को मिल रहा है। कभी मिलों के बंद होने और भुगतान में देरी से परेशान रहने वाले किसान अब समय पर भुगतान पाकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में निरंतर वृद्धि किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा का मजबूत आधार बनी है। 2017 से अब तक गन्ना मूल्य क्रमिक रूप से बढ़ाया गया जिससे उत्पादन उत्साह और किसानों का लाभ दोनों बढ़े।

    पहली चौपाल में किसानों ने जहां सरकार के प्रयासों की सराहना की थी वहीं हिसावदा की चौपाल में किसान अधिक सुझावोन्मुख होकर साझेदारी का भाव प्रदर्शित करते दिखे। किसानों ने गन्ना कटाई की समयबद्धता और पर्ची जारी करने की व्यवस्था जैसे मुद्दों पर ठोस फीडबैक दिया। इस आयोजन की सबसे विशेष बात यह रही कि चौपाल पूरी तरह से किसानों द्वारा संचालित रही। यह परिवर्तन सरकार और किसानों के बीच भरोसे की नई कड़ी का संकेत देता है जहां किसान सिर्फ लाभार्थी नहीं बल्कि नीति निर्धारण के सहभागी बन रहे हैं।

    पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत, हापुर, शामली और मुजफ्फरनगर के गांवों में हो रही इन चौपालों का परिणाम यह है कि सरकार किसानों की हर बात को सुन रही है और उसके आधार पर अगले कदम निर्धारित कर रही है। चीनी मिलों की क्षमता विस्तार, सीबीजी संयंत्रों की स्थापना और गन्ना आधारित एथेनॉल उत्पादन में उत्तर प्रदेश उदाहरण बन चुका है। वर्ष 2017 में एथेनॉल आसवनी की संख्या 61 थी जो 2025 में बढ़कर 97 हो गई है, जबकि चार नई आसवनियां पाइपलाइन में प्रस्तावित हैं। एथेनॉल उत्पादन 41.28 करोड़ लीटर से बढ़कर 182 करोड़ लीटर तक पहुंचा है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष मजबूती मिली है।

    किसानों के हितों में भुगतान व्यवस्था में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 2007 से 2017 के बीच गन्ना भुगतान 147346 करोड़ रहा जबकि 2017 से अब तक यह बढ़कर 290225 करोड़ हो गया है। यह 142879 करोड़ की अतिरिक्त भुगतान वृद्धि दर्शाता है जो सीधे किसानों के खातों में पहुंची। वर्ष 2016-17 में गन्ना क्षेत्रफल 20 लाख हेक्टेयर था जो वर्तमान में बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। गन्ना मूल्य अब अगेती किस्म के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म के लिए 390 रुपये प्रति क्विंटल प्रस्तावित है जिससे किसानों को 3000 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान लाभ प्राप्त होगा।

    आज उत्तर प्रदेश का यह ग्रामीण विकास मॉडल किसानों की साझेदारी और सीधी संवाद प्रणाली पर आधारित है। बागपत से उठती यह आवाज साबित करती है कि किसान अब बिचौलियों के भरोसे नहीं बल्कि स्वयं सरकारी नीति निर्धारण में प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं और योगी सरकार की पहल से गांव-गांव में बदलावों की यह बयार वास्तविक विकास का आधार बन रही है।