बंदर पकड़ने वाली टीम को किया सम्मानित
आतंक का पर्याय बने खूंखार बंदर को पकड़ने वाली टीम को समाजसेवियों ने सम्मानित कर आभार जताया। बंदर को पड़े हुए।
बागपत, जेएनएन। आतंक का पर्याय बने खूंखार बंदर को पकड़ने वाली टीम को समाजसेवियों ने सम्मानित कर आभार जताया। बंदर को पड़े हुए 48 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक वन अधिकारियों ने मौके तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई।
14 दिन में 102 लोगों को लहूलुहान करने वाले बंदर को साबूदीन की टीम ने दो दिन में पकड़ लिया। बंदर पकड़े जाने पर ही लोगों ने राहत की सांस ली और बच्चे घरों से बाहर खेलने लगे। शनिवार को समाजसेवियों ने बंदर पकड़ने वाली टीम को सम्मानित किया। आभार व्यक्ति का मनोज धामा ने कहा कि अगर बंदर पकड़ में नहीं आता तो दीवाली का त्योहार भी ढंग से नहीं मनाया जाता। अनुज कौशिक, गौरव वर्मा, मोहन बेदी आदि शामिल रहे। हैरत की बात है कि बंदर को पकड़े हुए 48 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने अभी मौके तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। इससे साफ है कि विभागीय अधिकारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे बंदर कुछ दिन और भी आतंक मचाता। वन कर्मचारियों के नहीं पहुंचने से टीम भी परेशान है क्योंकि खूंखार बंदर उनके पिजरे में कैद है। टीम को त्योहार पर घर जाना है और वन विभाग ने बंदर को अपनी सुपुर्दगी में नहीं लिया है। रेंजर राजेश का कहना है बंदर को किसी बड़े जंगल में छोड़ा जाएगा।
पालतू था बंदर
साबूदीन ने बताया कि बंदर किसी का पालतू थे। दूलारने पर आराम से बैठ जाता है किसी प्रकार की हरकत नहीं करता था। पालने वाले ने छोड़ दिया तो वह परेशान होकर लोगों पर हमला कर रहा था। साबूदीन ने बंदर को दूलारा तो वह शांत बैठ गया जबकि दूसरे हाथ लगाते ही हलचल में आ जाते थे। उधर रेंजर ने बंदर की जांच कराई जिसमें वह ठीक पाया गया।
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