Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यहां की थी महर्षि वाल्मीकि ने तपस्या

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 30 Oct 2020 08:52 PM (IST)

    महर्षि वाल्मीकि मंदिर बालैनी में आस्था-संस्कृति और इतिहास का अनमोल खजाना छिपा है।

    यहां की थी महर्षि वाल्मीकि ने तपस्या

    बागपत, जेएनएन। महर्षि वाल्मीकि मंदिर बालैनी में आस्था-संस्कृति और इतिहास का अनमोल खजाना छिपा है। त्रेता युग की तमाम यादों को समेटे इस मंदिर में वाल्मीकि जी ने तपस्या की थी और लव-कुश को शस्त्र और शास्त्र विद्या में पारंगत किए थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मान्यता है कि ताज्य होने पर सीता मैया यहीं वाल्मीकि मंदिर में रही। यहीं लव-कुश जी की जन्म हुआ था। वाल्मीकि जी ने लव-कुश को शस्त्र तथा शास्त्र विद्या में पारंगत किए थे। सीता मैया भी यहीं समाई थी। मंदिर की प्राचीनता का अंदाजा इससे

    लगा सकते हैं कि साल 1987 में मंदिर के पास समतलीकरण को मिट्टी खोदाई में तीन टांग वाली प्रतिमा, घुंघराले बाल वाली प्रतिमा और अन्य कई देवी-देवाताओं की प्रतिमाएं, छह चांदी के सिक्के तथा नौ इंच चौड़ी व 12 इंच लंबी सात से 10 किलों वजन की चपटी ईंटे निकली थी।

    ----

    औरंगजेब के अत्याचार का असर

    -वाल्मीकि मंदिर की लव-कुश पत्रिका में दर्ज है कि औरंगजेब के शासनकाल में धार्मिक स्थलों पर जो अत्याचार हुए, उनमें वाल्मीकि मंदिर बालैनी अछूता नहीं रहा था।

    ------

    अंग्रेजी अफसर का हमला

    -साल 1930 में अंग्रेज अफसर ने हिडन किनारे शिकार खेलने से मना करने पर तत्कालीन पुजारी गोदावरी दास महाराज की गोली मारकर हत्या की। साल 1982 में बदमाशों ने मंदिर में डाका डाला और तत्कालीन पुजारी ईश्वरदास महाराज को तख्त से बांधकर जिदा जला दिए थे।

    --

    इतने मंदिर

    -वाल्मीकि मंदिर बालैनी में लव-कुश जी का जन्म स्थली, सीता मैया की समाधि स्थल, पंचमुखी महादेव मंदिर, राधा-कृष्ण जी का मंदिर, वैष्णों देवी मंदिर और शनि मंदिर है। विशाल यज्ञशाला है। मंदिर में विराजमान कई प्रतिमाएं हजारों साल पुरानी बताई जाती हैं।

    ---

    लुभा सकते हैं पर्यटकों को

    यह मंदिर जिला मुख्यालय बागपत से 28 किमी दूर मेरठ सीमा से सटे हिडन नदी किनारे मेरठ-बागपत मार्ग पर है। सरकार तथा समाज थोड़ा मंदिर के विकास पर ध्यान दें तो यह धार्मिक पर्यटक केंद्र के नक्शे पर छा सकता है।

    ---

    -वाल्मीकि मंदिर त्रेता युग की यादों को समेटे है। तीन दशक पूर्व मिट्टी की खोदाई में मिली मूर्तियों से मंदिर की प्राचीनता साबित होती है। हर साल यहां आखा तीज मेला में दूर-दराज के श्रद्धालु उमड़ते हैं।

    -लक्ष्य देवानंद जी महाराज, मंदिर व्यवस्थापक।