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युगों-युगों से हो रही धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की उपासना

दीपावली का पर्व भारतीय जनमानस के लिए परंपराओं में रचा बसा एक धार्मिक उत्सव है। इस पर्व पर धन धान्य की देवी लक्ष्मी के पूजन का चलन प्राचीनकाल से रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 12:03 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:22 AM (IST)
युगों-युगों से हो रही धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की उपासना
युगों-युगों से हो रही धन-धान्य की देवी लक्ष्मी की उपासना

बागपत, जेएनएन। दीपावली का पर्व भारतीय जनमानस के लिए परंपराओं में रचा बसा एक धार्मिक उत्सव है। इस पर्व पर धन धान्य की देवी लक्ष्मी के पूजन का चलन प्राचीनकाल से रहा है। गुप्त राजवंश के शासक तो देवी लक्ष्मी के बड़े उपासकों में एक रहे, जिन्होंने अपनी विनिमय की मुद्राओं पर देवी लक्ष्मी का चित्र अंकित कराया था।

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शहर के शहजाद राय शोध संस्थान पर गुप्तकालीन प्राचीन सिक्कों का अनूठा संग्रह मौजूद है, जिसमें देवी के अंकन वाले सिक्के गुप्त शासकों के देवी के अनन्य उपासक होने की मूक गवाही देते हैं। अधिकांश सिक्कों में देवी लक्ष्मी पद्मासन अवस्था में बैठी हुई धन धान्य की वर्षा करती हुए नजर आती हैं। संस्थान के निदेशक और इतिहासविद् डा. अमित राय जैन बताते हैं कि गुप्त शासकों का सिक्कों पर देवी लक्ष्मी के चित्रों का अंकन करने का एक उद्देश्य उनकी आध्यामिक भावना को उजागर करना था, जिसने जनमानस के दिलोदिमाग पर गहरा प्रभाव भी डाला।

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कमलासना, धनलक्ष्मी, शेरोवाली की मुद्राएं

--गुप्त साम्राज्य में समुद्र गुप्त अत्यंत साहसी और महत्वाकांक्षी राजा हुआ हैं। राजा समुद्र गुप्त (335-380 ई.) ने अपने दक्षिण व उत्तर भारत में विजय प्राप्ति के उपलक्ष्य में अश्वमेघ यज्ञ करने के बाद अपने कुछ विशिष्ट स्वर्ण सिक्के निर्मित कराए, जिन पर उन्होंने शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा का अंकन कराया। इन सिक्कों पर जगत कल्याणी देवी दुर्गा अपनी वाहन शेर पर बैठी दिखाई देती है। इसके बाद चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा जारी स्वर्ण मुद्राओं में कमलासना देवी लक्ष्मी बैठी हुई हैं। देवी के एक हाथ में पाश है तो दूसरे हाथ से वे स्वयं यज्ञवेदिका में आहूति डालती हुई दिखाई पड़ती है। इसी क्रम में राजा स्कंदगुप्त (445-467 ई.) भी स्वयं देवियों की उपासना में भाग लेते थे। उन्होंने भी अपने शासनकाल में जारी स्वर्ण मुद्राओं पर धनलक्ष्मी का अंकन किया। देवी लक्ष्मी के एक हाथ से धन की वर्षा करते हुए सुंदर चित्रांकन उनके सिक्कों पर अंकित है। इन सिक्कों में गुप्त वंश के शासकों की देवी लक्ष्मी के प्रति अटूट श्रद्धा व भक्ति स्पष्ट रूप से झलकती है।


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