भारत से संबंध तनावपूर्ण होने के बीच यूपी के इस शहर में हुआ पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ के परिवार की भूमि बैनामा
Enemy Property Of Ex Pakistan President Sold पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुर्शरफ का परिवार वर्ष 1943 में कोताना से दिल्ली जाकर रहने लगा था और उनका परिवार वर्ष 1947 में बंटवारे के समय पाकिस्तान में चला गया था। मगर उनके परिवार की हवेली व खेती की जमीन कोताना में मौजूद थी।
जागरण संवाददाता, बागपत : कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों के नरसंहार के बाद भारत ने पाकिस्तान से सभी संबंध खत्म करने के साथ ही ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान में आतंकियों के बड़े अड्डों को नष्ट किया। भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को स्वदेश जाने का फरमान भी सुनाया है। इसी दौरान बागपत के बड़ौत से बड़ी खबर सामने आई है। यहां पर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल के परिवार की जमीन का बैनामा कराया गया है।
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के परिवार के लोगों की जमीन के मालिक अब बड़ौत और गाजियाबाद के लोग बने हैं। परवेज मुशर्रफ के भाई व परिवार की जमीन का बैनामा बड़ौत के पंकज ठेकेदार व मनोज गोयल और गाजियाबाद के जेके स्टील ने कराया है। इसके रुपये जमा कराने के बाद शनिवार को बैनामा कराने के बाद इन तीनों के नाम दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। कोताना में मौजूद उनकी शत्रु संपत्ति घोषित हो चुकी करीब 13 बीघा जमीन को इन्होंने 1.38 करोड़ रुपये में खरीदा था। अब इस जमीन से मुशर्रफ के परिवार का नाम पूरी तरह से खत्म हो गया।
कोताना गांव की भूमि (शत्रु संपत्ति) की नीलामी की प्रक्रिया सितंबर में हुई थी। बड़ौत एसडीएम मनीष कुमार यादव का कहना है कि कोताना गांव में स्थित लगभग 13 बीघे शत्रु संपत्ति की नीलामी सितंबर 2024 में हुई थी। मनोज गोयल, पंकज निवासी बड़ौत और जेके स्टील की ओर से 1.38 करोड़ रुपये की बड़ी बोली लगाई गई थी। शनिवार को शत्रु संपत्ति विभाग लखनऊ से आए प्रशांत कुमार ने सब रजिस्ट्रार कार्यालय बड़ौत में पहुंचकर भूमि का उक्त लोगों के नाम बैनामा कराया।
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुर्शरफ का परिवार वर्ष 1943 में कोताना से दिल्ली जाकर रहने लगा था और उनका परिवार वर्ष 1947 में बंटवारे के समय पाकिस्तान में चला गया था। मगर उनके परिवार की हवेली व खेती की जमीन कोताना में मौजूद थी। इसमें से परवेज मुशर्रफ की जमीन बेच दी गई थी तो उनके भाई डॉ. जावेद मुशर्रफ व परिवार के सदस्यों की जमीन को पंद्रह वर्ष पहले शत्रु संपत्ति में दर्ज कर दिया गया था।
कुबेर का खजाना बनीं शत्रु संपत्तियां
प्रदेश के कोने-कोने में मौजूद शत्रु संपत्तियां सरकार के लिए कुबेर का खजाना बन गई हैं। शत्रु अभिकरण कार्यालय ने 28 मार्च को 171 शत्रु संपत्तियों की नीलामी कराई। जिन संपत्तियों की नीलामी कराई गई वे लखनऊ के अलावा प्रदेश कई जिलों में हैं। गृह मंत्रालय ने कुछ दिनों पहले देशभर की उन सभी शत्रु संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया था, जो निर्विवादित हैं और उनका उपयोग कृषि कार्य के लिए हो रहा है या फिर भूखंड के रूप में हैं। दरअसल शत्रु संपत्तियों से जहां सरकार को बड़ी संख्या में राजस्व प्राप्त हो रहा है, वहीं गैर उपयोगी जमीनों को अवैध कब्जों से भी बचाया जा रहा है।
मुख्य पर्यवेक्षक ब्रिगेडियर यशपाल सिंह के मुताबिक कृषि योग्य जमीनों की तरह ही शत्रु अभिकरण कार्यालय शहर में मौजूद कुछ चुनिंदा व्यावसायिक और आवासीय संपत्तियों को भी नीलाम होगी। शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय ने प्रथम चरण में मुजफ्फरनगर, अमरोहा तथा मुरादाबाद जनपद में 21 शत्रु संपत्तियों को नीलाम किया। द्वितीय चरण में सुलतानपुर, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर तथा अमरोहा में 22 शत्रु संपत्तियों को नीलाम किया, जिससे 15 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। यशपाल ने बताया कि नीलामी प्रक्रिया में यदि संपत्ति की निर्धारित कीमत एक करोड़ से कम है तथा वर्तमान में भूमि पर कोई काबिज है, तो उसको प्राथमिकता दी जाती है। यदि काबिजदार निर्धारित मूल्य अदा कर देता है तो वह संपत्ति उसको ही सौंप दी जाती है।
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