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    मुर्रा भैंस का पीते हैं दूध और खूब लगाते दौड़

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 28 Nov 2018 10:22 PM (IST)

    जहीर हसन, बागपत नई पीढ़ी में फास्ट फूड की दीवानगी बेशक बढ़ी हो, लेकिन दूध अब भी पह

    मुर्रा भैंस का पीते हैं दूध और खूब लगाते दौड़

    जहीर हसन, बागपत

    नई पीढ़ी में फास्ट फूड की दीवानगी बेशक बढ़ी हो, लेकिन दूध अब भी पहली पसंद है। इसमें भी युवाओं को मुर्रा भैंस का दूध सबसे अधिक रास आ रहा है। बागपत के दुग्ध उत्पादन में 76 फीसद हिस्सेदारी मुर्रा नस्ल की भैंसों की है। इनका दूध पीकर जहां बागपत के गबरू मीलों दौड़ लगाकर सेहत बना फौज में भर्ती होते हैं और देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, वहीं विदेशों में प्रतिद्वंद्वी पहलवानों को पटखनी देकर देश का नाम भी रोशन करते रहते हैं।

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    पशुपालन विभाग की ताजा सर्वे रिपोर्ट बताती है कि बागपत में सालाना में 5.28 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन होता है। गांवों में 4.5 लाख मीट्रिक टन तथा नगर निकायों में 78 हजार मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन होता है। मुर्रा भैंसों के अलावा दूसरी नस्ल की भैंसों के दूध की हिस्सेदारी एक फीसद से कम है। गाय के दूध की 21 फीसद हिस्सेदारी है। गाय के कुल दुग्ध उत्पादन में सर्वाधिक क्रॉस ब्रिड गायों के दूध की 78 फीसद हिस्सेदारी है। बाकी दूध जर्सी व अवर्णित गायों का है। बकरी का 808 मीट्रिक टन दूध उत्पादन रहा। यहां उत्पादन के हिसाब से रोजाना प्रति व्यक्ति 377 ग्राम दूध हिस्से में आता है।

    बड़ी बागपत यह है कि पांच साल में दूध उत्पादन में रिकार्ड 1.65 लाख टन का इजाफा हुआ है। साल 2013 में 3.63 लाख टन दूध उत्पादन हुआ था। हालांकि अब नाबार्ड ने भी बागपत में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने को 62 करोड़ रुपये का प्लान बनाया है, जो आगामी वित्त वर्ष से लागू होगा।

    रोज इतना दूध देती हैं गाय-भैंस

    पशु लीटर में

    जर्सी गाय 8.130

    क्रास ब्रिड गाय 7.280

    देशी गाय 4.550

    अवर्णित गाय 3.680

    मुर्रा भैंस 6.750

    अवर्णित भैंस 3.750

    बकरी 0.875

    इन्होंने कहा..

    बागपत के 16 गांवों तथा आठ नगर निकायों के छह वार्डों में पशुओं की सूची तैयार कर हर माह दो-दो दिन दूध उत्पाद का पता लगाकर फिर जनपद के दुग्ध उत्पादन का औसत निकाला गया है।

    -राजपाल ¨सह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी

    बाक्स :

    मुर्रा भैंस की खासियत:

    विश्व की भैंस की सर्वश्रेष्ठ नस्ल मुर्रा कही जाती है। इसका पशुधन में सर्वोच्च स्थान है। इस कारण इसे 'काला सोना' कहा जाता है। ये भैंसें मूल रूप से पंजाब और हरियाणा राज्यों की होती हैं, किन्तु अब ये दूसरे प्रान्तों तथा देशों ( इटली, बुल्गारिया, मिस्त्र आदि) में भी पाली जाती हैं। इस नस्ल की भैंस भारी-भरकम शरीर की होती है। इसकी गर्दन और सिर अपेक्षाकृत हल्के होते हैं। सींग छोटे और मुड़े होते हैं। इनका रंग काला व पूंछ लंबी होती है। इनका पिछला हिस्सा चौड़ा तथा अगला हिस्सा संकरा होता है। इनकी आंख की पुतली नीली होती है, इसलिए इसे नीली या पंच कल्याणी भी कहते हैं। मुर्रा भैंस का वजन लगभग 550 किलोग्राम के आसपास होता है तथा ऊंचाई 133 सेंटीमीटर के आसपास होती है। वहीं युवा मुर्रा भैंसे का वजन 650 किलोग्राम के आसपास होता है तथा उसकी ऊंचाई 138 सेंटीमीटर के आसपास होती है। मुर्रा प्रजाति की भैंसें देशी एवं अन्य प्रजाति की भैंसों से दो से तीन गुणा अधिक दूध देती हैं। ये प्रतिदिन 15 से 20 लीटर दूध आसानी से देती हैं।