क्या मिड-डे मील से संवर रही बच्चों की सेहत! ...बदल रहा समाज, सब पता चल जाएगा सोशल आडिट से
मिड-डे मील योजना के अंतर्गत बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सोशल ऑडिट के माध्यम से योजना के प्रभाव का आकलन होगा, जिससे समाज में हो रहे बदलावों का पता चलेगा। यह ऑडिट पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा, साथ ही समुदाय की भागीदारी से योजना की जमीनी हकीकत सामने आएगी।

मिड-डे मील योजना के अंतर्गत बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बागपत। मिड डे मील से कैसे संवर रही बच्चों की सेहत तथा कैसे बदल रहा समाज? इसका पता लगाने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की टीम बागपत समेत 15 जिलों के प्राथमिक स्कूलों में मिड डे मील का सोशल आडिट कर सच सामने लाएंगी। मिड डे मील के सोशल आडिट का फायदा बागपत के स्कूलों में अध्ययनरत 80 हजार बच्चों को मिलेगा, क्योंकि खामियां दूर की जा सकेंगी और अच्छी बातों को बढ़ावा देने का काम हो सकेगा।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की समाजकार्य विभाग की टीम बागपत के 20 स्कूलों में मिड डे मील का सोशल आडिट करेगी। मिड डे मील की निदेशक मोनिका रानी ने बागपत डीएम, सीडीओ तथा बीएसए को अवगत कराया कि मिड डे मील का सोशल आडिट के लिए सबसे ज्यादा तथा सबसे कम बच्चों वाले स्कूलों का चयन होगा, जिनमें एक मदरसा, एक अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय, एक राजक्रीय विद्यालय का सोशल आडिट के लिए चयन करना जरूरी होगा।
सोशल आडिट के समय पीएम पोषण योजना के सभी घटक जैसे अध्यापक, छात्र, रसोइया, विद्यालय प्रबंधक समित के सदस्य, ग्राम सभा के सदस्य, अभिभावक, राशन डीलर से जानकारी तथा सुझाव प्राप्त कर सोशल आडिट रिपोर्ट में शामिल किए जाएंगे। सोशल आडिट के ड्राफ्ट ग्राम सभा की खुली बैठक में पढ़कर सुनाया जाएगा।
सोशल आडिट से पता लगाया जाएगा की पीएम पोषण योजना का क्रियान्वयन, प्रभाव, समुदाय की एकजुटता, रसोइयों का प्रशिक्षण, मिड डे मील मिलने से बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति आदि जानकारी जुटाई जाएगी। सोशल आडिट कराने का उद्देश्य योजना को लागू करने वाली एजेंसियों को जवाबदेह बनाने, समानता और गुणवत्ता को बेहतर बनाने, समस्याओं और चिंताओं का आकलन कर निस्तारण कराना है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।