मनोज चौधरी फिर सपा जिलाध्यक्ष नियुक्त
किसान आंदोलन से सियासत के केंद्र में आए जाटों को साधकर भाजपा को मात देने को अब सपा ने कदम बढ़ाते हुए मनोज चौधरी को सपा का जिलाध्यक्ष बनाया है।

जेएनएन, बागपत: किसान आंदोलन से सियासत के केंद्र में आए जाटों को साधकर भाजपा को मात देने को विरोधी दल कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। रालोद के बाद अब सपा ने बागपत में जिलाध्यक्ष पद पर जाट कार्ड खेला है। सपा ने जाटों में सियासी जमीन तलाशने को बिल्लू प्रधान को हटाकर मनोज चौधरी को फिर जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है।
सपा ने छह जनवरी 2020 को बाघू निवासी बिल्लू प्रधान को जिलाध्यक्ष नियुक्त किए थे। वह संगठन खड़ा करने में सक्रिय रहे, लेकिन 14 महीने में उनकी जिलाध्यक्ष पद से विदाई कर दी गई। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने मनोज चौधरी को फिर पार्टी जिलाध्यक्ष बनाकर 15 दिन में कार्यकारिणी गठित कराने का निर्देश दिया है।
अचानक हुए इस उलटफेर से कयास लगाया जा रहा है कि किसान आंदोलन से बदले सियासी माहौल में जाटों को लुभाने के लिए सपा ने रालोद की मानिद जिलाध्यक्ष पद पर जाट कार्ड खेला है। चंद रोज पहले रालोद ने रवा राजपूत जाति के सुखबीर सिंह गठीना को हटाकर जाट जाति के डा. जगपाल सिंह जिलाध्यक्ष बनाए। अब सपा ने भी वही पैटर्न अपनाकर जाटों पर डोरे डालने का काम किया है।
दरअसल साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी यूपी में भाजपा के लगातार मजबूत होने से विरोधी दलों को साल 2014 लोकसभा, साल 2017 विधान सभा तथा 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी हार ने हताशा के गर्त में धकेला, लेकिन अब किसान आंदोलन के बहाने सपा समेत विरोधी दलों ने सियासी जमीन पर नींव रखने को जाटों को लुभाने में जुटे हैं।
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कम नहीं गुटबाजी
पार्टी में गुटबाजी और शिकायत कम नहीं है। बिल्लू प्रधान से विवाद में अभयवीर यादव पार्टी से बाहर हुए पर उन्होंने कुछ दिन में ही सपा में वापसी कर अपना दम दिखा दिया।
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लड़ चुके चुनाव
सपा जिलाध्यक्ष बने मनोज चौधरी साल 2012 व 2017 में सपा के टिकट पर छपरौली में विधानसभा सीट चुनाव लड़े लेकिन हार गए। वर्ष 2017 से 2019 तक सपा जिलाध्यक्ष रहे। उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर चलेंगे। विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत के लिए काम करेंगे।

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