फ्री-फायर गेम के लिए रातभर घर से गायब रहा कक्षा-दो का छात्र, सुबह मदरसे से हुआ बरामद
बड़ौत में फ्री फायर गेम की लत के चलते एक कक्षा दो का छात्र रातभर घर से गायब रहा। वह अपने दोस्त के घर गेम खेलने चला गया था। पुलिस ने बच्चे को एक मदरसे से बरामद किया और उसके परिवार को सौंप दिया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस की मदद से बच्चे को ढूंढा। अभिभावकों को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने की सलाह दी गई है।

बड़ौत में फ्री फायर गेम की लत के चलते एक कक्षा दो का छात्र रातभर घर से गायब रहा। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बड़ौत (बागपत) : पबजी गेम के बाद अब बच्चों में फ्री फायर गेम की लत लग रही है, जिससे वे न केवल अपने स्वजन से दूर हो रहे हैं, बल्कि उनमें मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है। गेम के चक्कर में बच्चे कई गंभीर कदम भी उठा रहे हैं। एक ऐसा ही मामला शहर के पठानकोट मोहल्ले में सामने आया है, जहां कक्षा दो में पढ़ने वाला लगभग नौ वर्षीय छात्र घर से लापता हो गया और लगभग दो सौ मीटर दूर अपने दोस्त के घर पहुंच गया। रात भर दोनों गेम खेलते रहे। सुबह दोनों एक मदरसे में चले गए, जिसके बाद पुलिस ने बच्चे को मदरसे से बरामद करते हुए उसके स्वजन के सिपुर्द कर दिया।
शहर के पठानकोट निवासी एक व्यक्ति ने 21 नवंबर की शाम कोतवाली में तहरीर देकर बताया कि कक्षा दो में पढ़ने वाला उसका बेटा रात लगभग आठ बजे से घर से चला गया जो वापस नहीं लौटा। उसका बेटा मोबाइल भी लिए हुए था। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज करने के बाद स्वजन के साथ बच्चे की तलाश शुरू की और रात भर इधर-उधर तलाश करने के अलावा आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली। कई सीसीटीवी कैमरों में बच्चा चलता हुआ दिखाई दिया।
पुलिस ने मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर भी लगाया। उसकी लोकेशन पठानकोट में ही आती रही। कई बार मोबाइल पर काल भी की गई, लेकिन वह बार-बार स्विच आफ भी करता रहा। नेहरू रोड पुलिस चौकी प्रभारी नीतू सिंह ने बताया कि सर्विलांस के आधार पर सुबह बच्चे को पठानकोट स्थित एक मदरसे से बरामद कर लिया। बच्चा रात को घर से मोबाइल लेकर फ्री फायर गेम खेलने के लिए दोस्त के घर चला गया था। सुबह दोनों पास ही एक मदरसे में चले गए थे। पुलिस ने बच्चे को उसके स्वजन के सिपुर्द कर दिया।
ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उठाएं यह कदम
कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार चौहान ने कहा कि बच्चों की आनलाइन गेमिंग गतिविधियों पर माता-पिता और अभिभावकों को निगरानी रखनी चाहिए ताकि वे जरूरत से ज्यादा गेम खेलने या अनजान दोस्तों से संपर्क में न आएं।
दुष्प्रभाव और इंटरनेट सुरक्षा के बारे में जागरूक करें
बच्चों को गेमिंग के दुष्प्रभाव और इंटरनेट सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, जिससे वे सही निर्णय ले सकें। परिवार में संवाद बनाए रखें और बच्चों को अपनी समस्याएं और चिंताएं साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें। समय-समय पर बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से सलाह लें। बच्चों को घर और बाहर सुरक्षित रहने के नियम सिखाएं। परिवार को बच्चों की गतिविधि के लिए एक रूटीन बनाना चाहिए, जिसमें गेमिंग के अलावा पढ़ाई, खेलकूद और अन्य स्वस्थ्य गतिविधियां भी शामिल हों।

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