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    Chaudhary Charan Singh: भारत रत्न बन गया झोपड़ी में जन्मा गुदड़ी का लाल, ऐसे नेता ज‍िन्‍होंने कभी नहीं मानी हार

    Updated: Fri, 09 Feb 2024 01:54 PM (IST)

    चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ के नूरपुर गांव में हुआ था। पिता चौ. मीर सिंह साधारण किसान थे। बचपन में पिता के साथ जानीखुर्द के भूपगढ़ी गांव में आए। जानीखुर्द से प्राथमिक शिक्षा व 1926 में कानून की डिग्री प्राप्त की। चौधरी साहब भारतीय राजनीति में उन नेताओं में शुमार थे जिन्होंने न कभी हार नहीं मानी और न सिद्धांतों के विपरीत समझाैता किया।

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    चौधरी चरण सिंह का जन्म हापुड़ के नूरपुर गांव में छप्पर के घर यानी झोपड़ी में हुआ था।

    जागरण संवाददाता, बागपत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान कर गांव गरीब और किसानों का दिल जीत लिया। जातिवाद के विरोधी चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति में उन नेताओं में शुमार थे, जिन्होंने बागपत की धरती को कर्मस्थली बनाकर न कभी हार नहीं मानी और न सिद्धांतों के विपरीत समझाैता किया।

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    पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ के नूरपुर गांव में छप्पर के घर यानी झोपड़ी में हुआ था। पिता चौ. मीर सिंह साधारण किसान थे। बचपन में पिता के साथ जानीखुर्द के भूपगढ़ी गांव में आए। जानीखुर्द से प्राथमिक शिक्षा व 1926 में कानून की डिग्री प्राप्त की।

    बापू के सच्चे अनुयायी थे चौधरी साहब

    बापू के आह्वान पर 1930 में नमक बनाया। 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन में भाग लेने पर जिला प्रशासन मेरठ ने उन्हें देखते ही गोली मारने का आदेश दिया था। वे सच्चे राष्ट्रभक्त थे और भारत मां को अंग्रेजों से आजादी दिलाने को जेल की सजा तक काटी थी।

    ऐसा रहा चौधरी साहब का राजनीतिक सफर

    साल 1929 में जिला पंचायत सदस्य बने। साल 1937 में प्रांतीय धरा सभा के सदस्य बने। तीन अप्रैल 1967 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री की शपथ ली।

    जातिवाद के कट्टर विरोधी थे चौधरी साहब

    चौधरी साहब 1939 में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव लाए कि शैक्षणिक संस्था या लोक सेवा में प्रवेश करने वाले हिंदू प्रत्याशियों से जाति के संबंध में न पूछा जाए। केवल इतना पता किया जाए कि वे अनुसूचित जाति से हैं या नहीं। 'धरा पुत्र चौधरी चरण सिंह व उनकी विरासत' पुस्तक के अनुसार, 16 फरवरी 1951 को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पास किया कि कांग्रेस को कोई सदस्य जातिगत आधार पर बने किसी संगठन या संस्था से नहीं जुड़ेंगे। 1967 में मुख्यमंत्री बनकर आदेश जारी किया कि जाति के नाम पर शिक्षण संस्थाओं का अनुदान बंद होगा। इससे जातियों के नाम पर संचालित शिक्षण संस्थाओं का नामकरण महापुरुषों के नाम पर हुआ।

    किसानों को बना गए जमींदार

    चौधरी साहब ने किसानों के कर्ज माफी बिल पास कराया। जमींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार अधिनियम लागू करने, किसानों को पटवारी राज से मुक्ति दिलाने, चकबंदी अधिनियम पारित कराने, फसल उपज बढ़ाने को मिट्टी परीक्षण, कृषि को आयकर से बाहर रखने, नहर पटरियों पर चलने पर जुर्माना लगाने के ब्रिटिश काल कानून खत्म कराने जोत-बही दिलाने, कृषि उपज पर अंतरराज्यीय आवाजाही पर लगी रोक हटाने जैसे बेमिसाल काम किए थे।

    सिद्धांतों के सामने पीएम पद से इस्तीफा

    रालोद के नेता ओमबीर ढाका ने बताया कि चौधरी साहब सिद्धांताें से डिगने वाले नहीं थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चौधरी साहब को संदेश भेजा कि संसद में बहुमत साबित करने से पहले वे उनके आवास पर चाय पीकर जाएं। इंदिराजी देशभर में संदेश देना चाहते थे कि चौधरी साहब उनके घर समर्थन मांगने आए हैं। चौधरी साहब इंदिराजी का निमंत्रण ठुकराकर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। चौधरी साहब ने पार्टी चलाने तथा चुनाव में किसी पूंजीपति से चंदा नहीं लिया।

    हर ओर जश्न

    पीएम नरेंद्र मोदी ने जैसे ही चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया वैसे ही बागपत में हर और जश्न का माहौल बन गया। किसानों की खुशी छुपाए नहीं छुप रहीं थी। हर कोर्ठ इसके लिए मोदीजी का आभार व्यक्त करता दिखा।

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