सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर व पत्नी को मृत दर्शा बेच दी थी करोड़ों की भूमि... अदालत ने आरोपित को नहीं दी जमानत
बागपत में एक सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर और उनकी पत्नी को मृत बताकर 4.31 करोड़ रुपये की कृषि भूमि बेचने के मामले में, अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी। शिकायतकर्ता के अनुसार, आरोपियों ने धोखाधड़ी से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर जमीन बेच दी। पुलिस ने आरोपी सुंदर को गिरफ्तार किया था, जिसकी जमानत याचिका अदालत ने अस्वीकार कर दी।

सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर व उनकी पत्नी को मृतक दर्शाकर 4.31 करोड़ रुपये की कृषि भूमि बेचने के मामले में अदालत ने एक आरोपित की जमानत अर्जी निरस्त की है। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, बागपत। सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर व उनकी पत्नी को मृतक दर्शाकर 4.31 करोड़ रुपये की कृषि भूमि बेचने के मामले में अदालत ने एक आरोपित की जमानत अर्जी निरस्त की है।
डीजीसी राहुल सिंह नेहरा के मुताबिक देवेंद्र निवासी ट्रापिकाना पार्श्वनाथ सिविल लाइन दिल्ली ने मुकदमा दर्ज कराया था कि उनके अलावा रेनू गुप्ता निवासी मोतीनगर वेस्ट दिल्ली और हरीश शर्मा निवासी ज्योति नगर नंद नगरी दिल्ली ने ग्राम सिसाना में 0.2910 हेक्टेयर भूमि 4,31,32,411 रुपये में खरीदी थी। आरोप है कि भूमि को दिलाने में डीलर प्रमोद व रविंद्र निवासी ग्राम बाघू शामिल रहे, जिन्होंने सुंदर निवासी निकट डासना, मसूरी गाजियाबाद व हाल निवासी गणेशपुर (हापुड़) से मुलाकात कराई थी।
रकम नगद, चेक और आरटीजीएस के माध्यम से दी गई थी। गत छह मई को भूमि की रजिस्ट्री कराई गई थी। 40 लाख रुपये कब्जा मिलने के बाद नगद दिए गए थे। उस समय रविंद्र, प्रमोद और एक अन्य डीलर मयंक मौजूद था। भूमि का दाखिल खारिज हो गया था। भूमि का बैनामा कराने से पहले हल्का लेखपाल से जानकारी की गई थी। लेखपाल ने भूमि का मालिक सुंदर पुत्र अनिल और अभिलेख सही बताए थे। इसके बाद ही भूमि खरीदी गई थी।
बाद में पता चला कि भूमि सुंदर के नाम नहीं है। आरोपितों ने धोखाधड़ी व जालसाजी से उनके व उनकी पत्नी के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कराकर अवैध रूप से भूमि की बिक्री की है। इस मामले में प्रमोद, रविंद्र, सुंदर, मयंक, अनिल कुमार अग्रवाल, लेखपाल व तहसीलदार के खिलाफ 15 सितंबर को मुकदमा दर्ज कराया गया था। वहीं पुलिस ने आरोपित सुंदर को गिरफ्तार किया था। आरोपित सुंदर ने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की थी। अदालत ने सुनवाई कर अर्जी को निरस्त किया है।

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