जमीन का पता नहीं, लेकिन सम्मान निधि पाते रहे, करोड़ों का घालमेल
पीएम किसान सम्मान निधि -पत्नी-पत्नियों

जमीन का पता नहीं, लेकिन सम्मान निधि पाते रहे, करोड़ों का घालमेल
पीएम किसान सम्मान निधि
-पत्नी-पत्नियों और पिता-पुत्रों ने झटकी करोड़ों की राशि
-एक-एक भूखंड पर दो-दो किसानों ने पाई सम्मान निधि
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-2030 पिता-पुत्र दोनों को मिली सम्मान निधि
-1129 पत्नी-पत्नी दोनों लेते रहे सम्मान निधि
-2040 लोगों की भूमि परिवर्तन संबंधी कारण
-6874 मामलों में भू-स्वामी विवरण अमान्य
-131 बच्चों ने सम्मान निधि को लगाया चूना
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जहीर हसन, जागरण. बागपत: पीएम किसान सम्मान निधि में बड़ा घालमेल पकड़ा गया है। पति-पत्नी तो कहीं पिता-पुत्रों ने करोड़ों का चूना लगाने में कसर नहीं छोड़ी। गजब बात है कि जमीन का पता नहीं, लेकिन सम्मान निधि पाते रहे। एक-एक भूखंड खसरा नंबर पर दो-दो लोगों को निधि मिलना चौंका रहा है। अब 10 हजार से अधिक संदिग्ध लाभार्थियों की सम्मान निधि बंद करने से खलबली मची है।
केंद्र सरकार ने संदिग्धों की सूची राज्यों के माध्यम से बागपत समेत जिलों को सत्यापन के लिए उपलब्ध कराई है। बागपत में 10 हजार 853 संदिग्ध लाभार्थियों की सूची मिली। इनकी 20वीं किस्त पहले ही रोकी जा चुकी है। संदिग्ध लाभार्थियों की सूची में पति-पत्नी, पिता-पुत्र, बच्चों और एक-एक भूखंड के खसरा नंबर पर दो-दो लोग निधि पाने वाले शामिल हैं। जिनकी जमीन का पिछले भू-स्वामियों का विवरण गलत पाया गया, वो भी इसमें शामिल हैं। कृषि निदेशक डा. पंकज त्रिपाठी ने 15 नवंबर तक फार्मर रजिस्ट्री अभियान के तहत पीएम किसान सम्मान निधि के संदिग्ध किसानों का सत्यापन का निर्देश उप निदेशक को दिया है, जिससे लंबित प्रकरणों का निस्तारण हो सके। जिले में नोडल कर्मियों की नियुक्ति कर सत्यापन शुरू करा दिया है। बताते चलें कि पिता-पुत्र, पति-पत्नी में कोई एक सम्मान निधि ले सकता है। बच्चों या किशोरों को सम्मान निधि नहीं मिल सकती।
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तो करोड़ों रुपये की चपत
पीएम-किसान सम्मान निधि से प्रत्येक किसान को साल में दो हजार रुपये दर से तीन किस्त छह हजार रुपये मिलते हैं। इस तरह 10 हजार 853 संदिग्ध लाभार्थियों ने एक किस्त में ही 2.17 करोड़ छह हजार रुपये प्राप्त किए। यदि इन सभी ने 19 किस्त प्राप्त की होंगी तो फिर यह राशि काफी ज्यादा बनेगी।
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दस हजार किसानों का डाटा मिला है, जिसका सत्यापन होगा। सत्यापन में पात्र मिलने वालों को वंचित नहीं होने दिया जाएगा, मगर अपात्र को लाभ नहीं मिलेगा।
-विभाति चतुर्वेदी, कृषि उप निदेशक
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