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    बागपत में मंदिर के बाद निकले मृदभांड और हड्डियां, साढ़े चार से पांच हजार वर्ष पुरानी बताई जा रही सभ्यता

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 09:33 PM (IST)

    बागपत के खंडवारी में मंदिर के पास खुदाई में प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिनमें हड्डियां, मृदभांड और चांदी के सिक्के शामिल हैं। इतिहासकारों के अनुसार, ये साढ़े चार से पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के प्रमाण हैं। ग्रामीणों और इतिहासकारों ने यहां उत्खनन कराने की मांग की है, ताकि और भी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सके। खंडवारी को महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है।

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    जागरण संवाददाता, बागपत। खंडवारी में मंदिर के बाद अन्य पुरावशेष मिले हैं। इनमें हड्डी, मृदभांड, चांदी का सिक्का आदि शामिल हैं। इतिहासकार ने दावा किया है कि ये साढ़े चार से पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के प्रमाण है। यह आबादी स्थल रहा है। उत्खनन कराया जाए तो कई महत्वपूर्ण प्रमाण मिलने की उम्मीद है। वहीं, ग्रामीण काफी उत्साहित हैं। दिनभर वहां लोगों की भीड़ लगी रही। हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं व ग्रामीणों ने प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना की है।

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    यमुना किनारे स्थित गैर आबादी गांव खंडवारी को पहले से ही महाभारत कालीन बताया जाता है। कुछ लोग इसको खांडवप्रस्थ या खांडव वन क्षेत्र के नाम से पुकारते हैं। लाक्षागृह की गुफा भी यहां से गुजरी थी। वनवास के समय पांडव यहां पर ठहरे थे। एक बार फिर खंडवारी चर्चा में आ गई है। मिट्टी के अवैध खनन के दौरान मंदिर की आकृति दिखने के बाद ग्रामीणों ने आसपास की खोदाई की।

    विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल वीरांगनी स्तर के प्रखंड मंत्री राजू चौहान, विनीत चौहान आदि का कहना है कि खोदाई में प्राचीन अवशेष मिले हैं। वहीं, इतिहासकार अमित राय जैन ने भी पुरातात्विक सर्वेक्षण किया। उन्होंने बताया कि यहां पर महाभारतकालीन दुर्लभ पुरावशेष मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को विस्तृत रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी। संस्कृति मंत्री से मिलकर दुर्लभ पुरावशेष को संरक्षित कर उत्खनन कराने की कोशिश की जाएगी।

    यहां पर रही होगी रसोई

    विनीत चौहान का कहना है कि मृदभांड से प्रतीत होता है कि यहां पर प्राचीन काल में रसोई रही होगी। मिट्टी के एक घड़े में बाजरा की आकृति का सामान, राख तथा बच्चों के खेलने के कंचे तथा धातु गलाने की भट्ठी के भी प्रमाण मिले हैं। यह मौर्य कालीन और कुषाण कालीन सभ्यता भी हो सकती है। इसका सही पता उत्खनन से ही चलेगा।

    सिसाना में लेकर आए थे दो परिवारों को

    सिसाना के ग्रामीण बताते हैं कि 150 साल पहले महामारी आने के बाद खंडवारी में बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई थी। तब वहां से दो परिवारों को लेकर पूर्वज अपने गांव सिसाना आए थे। वर्तमान में दोनों परिवारों के लोग गांव में ही रहते हैं।