मंदिर की चोटी देख भूले सारे दर्द
अमित पंवार, बागपत
इसे भगवान आशुतोष का चमत्कार कहें या फिर उनके भक्तों की उनमें अगाध श्रद्धा, विश्वास और भक्ति का परिणाम। हरिद्वार से 160 किमी. से अधिक पदयात्रा करके आने के बावजूद ऐतिहासिक पुरा महादेव मंदिर की चोटी दूर से दिखते ही उनकी थकान व दर्द सब कुछ दूर हो जाते हैं। शिवभक्त नए उत्साह से मंदिर की ओर दौड़ पड़ते हैं। सभी दर्द भूलकर वह भोले का जलाभिषेक करने के लिए मंदिर की सीढि़यां भी पूरी रफ्तार से दौड़कर चढ़ते हैं। जलाभिषेक के बाद उनके चेहरे का तेज देखते ही बन रहा है।
हरिद्वार से 160 किमी. की पदयात्रा के दौरान अधिकांश कांवड़ियों के पैरों में छाले पड़ जाते हैं, पैर सूज जाते हैं, बारिश के पानी से जांघ और हाथों की बगले लग जाती है। इन हालात में पैदल सफर करना बड़ा कठिन होता है, लेकिन भोले के भक्तों को देखिए कुछ तो भांग का प्रसाद लेकर ही पूरा सफर पार कर लेते हैं। मुख्य मार्गो पर श्रद्धालु नीला थोथा को पात्रों में घोलकर रखते हैं।
छाले वाले पैर शिवभक्त कांवड़िये उनमें डूबोते हैं और बम बम बोले का जयकार करके आगे मंजिल की ओर बढ़ जाते हैं। लंबा सफर तय करने के बाद जैसे ही उन्हें दूर से पुरा महादेव मंदिर की चोटी दिखाई देती है तो उनके सारे दुख-दर्द और थकान दूर हो जाती है।
मंदिर पर पहुंचने वाले कांवड़ियों की हालत देखकर आम आदमी के मुंह से आह निकलती है, लेकिन कांवड़ियों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि उसे कोई दर्द है। लंबी लाइन में लगकर वह दर्द से अनजान रहते हैं। नंबर आते ही पूरे जोश और रफ्तार के साथ दौड़कर मंदिर की सीढि़यां चढ़कर आशुतोष को जलाभिषेक करते हैं।
जलार्पण करके उनके चेहरे पर गहरा आत्म विश्वास झलकता है। मंदिर समिति के सचिव टीपी शर्मा भी इसे मानते हैं और वह कहते हैं कि मंदिर से पहले कितनी भी थकान और दर्द हो, लेकिन मंदिर देखते ही सारी थकान दूर हो जाती है और कांवड़ियों में उत्साह जग जाता है।
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