जिंक सल्फेट खाद किसानों के लिए वरदान
बदायूं : जिंक सल्फेट को ऊसर सुधार के नाम से जाना जाता है, इसके प्रयोग से खेतों की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। इससे खेत की जल धारण क्षमता बढ़ने के साथ ही फसलों का उत्पादन बढ़ जाता है। जिंक सल्फेट पर सरकार किसानों को 75 प्रतिशत सरकारी अनुदान भी उपलब्ध कराती है।
कृषि विशेषज्ञों के मानकों पर खरी उतरी जिंक सल्फेट में तमाम खूबियां भी हैं। जिस जमीन का तापमान 8-9 तक है, उसकी संरचना में सुधार होने के साथ ही जल, वायु का संचार भी बढ़ जाता है। उर्वरा के लिहाज से भूमि ताकतवर होकर फसलों के लिए ज्यादा पोषक तत्व देने लगती है। यही पोषक तत्व फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद करते हैं।
जिला कृषि अधिकारी आरके सिंह ने बताया कि जिंक सल्फेट के प्रयोग से निश्चित तौर पर फसलोत्पादन में वृद्धि होगी। जिंक सल्फेट में सल्फर होने से तिलहन के तेल और गेहूं के दानों में भी इजाफा होता है। गेहूं का दाना बोल्ड होकर इसमें चमक आ जाती है। उपज देखने में अच्छी लगने से बाजार में इसके दाम भी अच्छा मिलता है। उन्होंने बताया कि जिंक सल्फेट धान की पैदावार भी बढ़ाती है और इसके प्रयोग से फसल में रोग भी कम होने की संभावना रहती है। आलू के खेतों में प्रयोग से आलू का आकार बढ़ जाता है। इसी तरह दलहनी फसलों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। जिंक सल्फेट जिले के सभी राजकीय बीज भंडारों पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। किसान अपनी खतौनी दिखाकर जिंक सल्फेट सरकारी अनुदान सहित प्राप्त कर सकते हैं।
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