बदायूं के कोतवाली गोलीकांड में इंस्पेक्टर समेत तीन पर FIR, पांच साल पुराना है मामला
बदायूं के उझानी कोतवाली गोलीकांड में नया मोड़ आया है। सिपाही की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन इंस्पेक्टर और एसएसआई समेत तीन पर छेड़छाड़ और हत्या के प्रयास का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है। यह मामला 2020 का है, जब सिपाही ने छुट्टी न मिलने पर एसएसआई को गोली मार दी थी और फिर खुद को घायल कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने डीआईजी के निर्देशन में विवेचना का आदेश दिया है।
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जागरण संवाददाता, बदायूं। जिले में चर्चित रहे उझानी कोतवाली गोलीकांड के मामले में अब नया मोड़ आ गया। उझानी कोतवाली में जिस सिपाही पर गोली चलाने का आरोप लगा था। पुलिस का कहना था कि उसने छुट्टी मांगने को लेकर इंसास रायफल से पहले एसएसआई रामऔतार को गोली मारी थी।
बाद में खुद को गोली मारकर घायल कर लिया था। इस मामले में उसे बर्खास्त कर दिया गया। बाद में कोर्ट के आदेश पर उसे बहाल कर दिया गया और इस समय वह बदायूं जिले में ही तैनात है। अब उसकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन इंस्पेक्टर ओमकार सिंह और तत्कालीन एसएसआई समेत तीन लोगों पर छेड़छाड़, हत्या का प्रयास व अन्य आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुलिस ने इसकी विवेचना शुरू कर दी है।
यह मामला चार सितंबर 2020 का है। उस दिन उझानी कोतवाली में इंसास राइफल से ताबड़तोड़ गोली चली थी और एसएसआई रामऔतार व सिपाही घायल अवस्था में पड़े थे। इंस्पेक्टर कक्ष के बाहर खून बिखरा पड़ा था। पुलिस अधिकारियों का कहना था कि सिपाही काफी समय से छुट्टी मांग रहा था। वह उस दिन भी छुट्टी मांगने पहुंचा था।
एसएसआई रामऔतार कुर्सी पर बैठे हुए थे। सिपाही ने उनसे ही छुट्टी मांगी थी लेकिन उन्होंने छुट्टी नहीं दी। इसी बात को लेकर सिपाही ने गुस्से में इंसास राइफल से उनको गोली मार दी और बाद में खुद को भी गोली मार ली, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया था, जहां से तुरंत हायरसेंटर रेफर कर दिया गया था। उनकी हालत काफी नाजुक थी।
काफी उपचार के बाद उनकी जान तो बच गई लेकर एसएसआई रामऔतार आज भी उसका दंस झेल रहे हैं। इसकी सूचना पर आईजी, डीएम और एसएसपी भी मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने मामले की जांच करते हुए उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट सौंप थी। उसके आधार पर बाद में सिपाही को बर्खास्त कर दिया गया था।
बाद में सिपाही ने न्यायालय की शरण और उसे बहाल कर दिया गया। बताया जा रहा है कि इस संबंध में सिपाही की पत्नी ने स्थानीय अदालत में तत्कालीन एसएसआई रामऔतार पर आरोप लगाया था कि वह उसके साथ छेड़छाड़ करते थे। कई बार ऐसा हो चुका था। तब उसने अपने पति को इसके बारे में बताया। तो वह इसकी शिकायत करने इंस्पेक्टर ओमकार सिंह के पास पहुंचे और उन्हीं के उकसाने पर दारोगा ने गोली चलाई थी। यह कहकर उसने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।
यहां से प्रार्थना पत्र खारिज होने के बाद उसकी पत्नी हाईकोर्ट चली गई और वहां से भी प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया। तब उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अभी कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आईजी बरेली और एसएसपी उझानी कोतवाली पहुंचे थे।
उन्होंने मामले की छानबीन की और सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा पेश किया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सिपाही की पत्नी की तहरीर पर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए, जिसके क्रम में उझानी कोतवाली में हत्या का प्रयास, छेड़छाड़, धमकी, गालीगलौज, एक ज्यादा लोगों द्वारा घटना को अंजाम देना, लोकसेवक द्वारा घटना को अंजाम देना, साक्ष्यों में छेड़छाड़ और न्याय में बाधा डालने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर ली है और इसकी विवेचना भी शुरू कर दी है।
न्यायालय में सस्पेंड रहेगा पुराना मामला, डीआईजी के निर्देशन में होगी विवेचना
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान लेते हुए यह भी आदेश दिया है कि जो सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। जब तक इस मामले की विवेचना पूरी नहीं हो जाती और कोर्ट में दाखिल नहीं हो जाती। तब तक पुराना मामला सस्पेंड रहेगा।
सिपाही के वकील कौशल यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश है कि इस पूरे प्रकरण की विवेचना डीआईजी के निर्देशन में होगी। तीन माह के अंदर विवेचना कर उसका जो भी परिणाम सामने आएगा। वह उसी अदालत में पेश होगा, जहां पहले मुकदमे की सुनवाई चल रही है। फिर दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई होगी और उसके आधार पर न्यायालय निर्णय सुनाएगा।
कई बार हो चुकी है गोली कांड की जांच
उझानी कोतवाली में हुए गोलीकांड की जांच भी कई बार हो चुकी है। गोलीकांड के बाद सिपाही के खिलाफ ही कोतवाली के हेडमोहर्रर ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें सिपाही जेल भी गया था। उसकी भी विवेचना कोतवाली में हुई थी और फिर सिपाही के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।
बाद में भी कई बार यह मामला सामने आया और उच्चाधिकारियों ने भी मौके पर पहुंचकर इसकी जांच की। सभी पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए। सभी ने सिपाही द्वारा गोली चलाने की बात कही थी। इसी वजह से और इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर स्थानीय अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक सिपाही की पत्नी की ओर से दिए जा रहे प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए गए।

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