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    गुरु के आशीर्वाद और मार्गदर्शन से पाया सफलता का मुकाम

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 05 Jul 2020 12:12 AM (IST)

    जागरण संवाददाता बदायूं गुरु गोविद दोऊ खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपने गोविद दियो बताय। संत कबीर दास की वर्षों पहले लिखी यह पंक्तियां आज भी यह प् ...और पढ़ें

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    गुरु के आशीर्वाद और मार्गदर्शन से पाया सफलता का मुकाम

    - कोरोना संक्रमण के चलते जिला प्रशासन ने गंगा स्नान पर लगाई रोक जागरण संवाददाता, बदायूं : गुरु गोविद दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविद दियो बताय। संत कबीर दास की वर्षों पहले लिखी यह पंक्तियां आज भी यह प्रासंगिक प्रतीत होती हैं। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। गुरु के मार्ग दिखाने पर ही मंजिल की राह आसान हो जाती है। सफलता का शिखर छूने वाले हर शख्स के पीछे गुरु का मार्गदर्शन और आशीर्वाद होता है। रविवार को गुरु पूर्णिमा है। गुरुजनों को स्मरण कर उन्हें उपहार भी दिए जाएंगे। गुरु पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान भी करते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने गंगा स्नान पर रोक लगा दी है। जिलाधिकारी कुमार प्रशांत ने निर्देश दिए हैं कि कोविड-19 को देखते हुए धारा 144 प्रभावी है। गुरु पुर्णिमा के पर्व पर गंगा स्नान प्रतिबंधित रहेगा। किसी प्रकार के आयोजन किए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। अनलॉक-टू के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी।

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    गुरु के आशीर्वाद से मिला मुकाम फोटो 04 बीडीएन 26

    गुरु के आशीर्वाद से ही मंजिल मिल सकी। गुरु-शिष्य परंपरा सदियों पुरानी है। पहले गुरुजन विद्यार्थियों को कामयाब बनाने के लिए निस्वार्थ भाव से प्रयास करते थे। जब नवोदय में प्रवेश की तैयारी चल रही थी। तब गुरुजी स्वयं उनके लिए पुस्तक खरीद कर लाए थे और नियमित अभ्यास कराकर उनकी राह आसान की थी। मंजिल तक पहुंचाने में कई गुरुजनों के सबक काम आए। गुरु पूर्णिमा पर सभी गुरुजनों को नमन।

    - कुमार प्रशांत, जिलाधिकारी गुरु से मिला आलस्य त्यागने का मंत्र फोटो 04 बीडीएन 27

    गुरु की महिमा अपरंपार है। गुरु का दिखाया सही मार्ग मंजिल तक पहुंचाता है। जूनियर हाईस्कूल का विद्यार्थी था। तब रात्रिकालीन कक्षाएं चल रही थीं। पेट्रोमेक्स की रोशनी में पढ़ाई होती थी। एक रात भोर के चार बज रहे थे पढ़ाई करते-करते मुझे नींद आ गई। गुरु जी आए और कान पकड़ लिया, सबक दिया आलस्य का त्याग करो। उनका इस सबक को गुरु मंत्र बना लिया, उसे आज तक नहीं भूला है। पहली गुरु मां को नमन। उंगली पकड़कर रास्ता दिखाने वाले पिताजी को भी प्रणाम। शिक्षण कार्य से मार्गदर्शन करने वाले गुरुजन और दीक्षा देने वाले गुरु को भी प्रणाम है।

    - अशोक कुमार त्रिपाठी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक फोटो 04 बीडीएन 28

    गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों को प्रणाम। हमारे पिता स्व.डॉ.उर्मिलेश शंखधार शिक्षक के साथ गीतकार भी रहे। बचपन से ही पिता जी की तरह साहित्यकार बनने में रुचि रही। उनके सिखाए हुनर ही समाज में अलग मुकाम और पहचान बनाने में मार्गदर्शक साबित हुए। उनके आशीर्वाद से ही अमेरिका और इंग्लैंड तक जाकर काव्यमंचों पर रचनाएं पढ़ने का अवसर मिला। पिता जी यह अक्सर सिखाते रहते थे कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। सतत प्रयास से ही मंजिल हासिल होती है। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलकर साहित्य धारा को बढ़ाने की कोशिश कर रही हूं।

    - डॉ.सोनरूपा विशाल, कवियित्री फोटो 04 बीडीएन 29

    गुरुजनों के मार्गदर्शन से ही खेल की दुनिया में तमगे हासिल हुए और अलग पहचान मिली। बात कुछ साल पहले की है शहर में गुरुजी अजयपाल सिंह ताइक्वाडो का प्रशिक्षण दे रहे थे। उसमें अधिकांश लड़के ही शामिल हुआ करते थे। पिता जी से बात करके हमने भी प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। उनके मार्गदर्शन में मंडल और प्रदेश स्तर पर मैडल हासिल हुए। कॉलेज में पहुंची तो डॉ.प्रवीण कुमार जादौन के निर्देशन में हमारा खेल और निखरा और अंतरराष्ट्रीय अमेरिकन फुटबाल में हिस्सा लेने का मौका मिला। सभी गुरुजनों को शत शत प्रणाम।

    - ऋषिका गुप्ता, खिलाड़ी