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    LoC पर बदायूं का लाल बलिदान, डेढ़ वर्ष पहले हुई थी मोहित की शादी; कहकर गए थे ‘पापा बहन की शादी हमारी जिम्मेदारी’

    Updated: Sun, 28 Jul 2024 07:37 AM (IST)

    Kupwara Encounter Badaun News मोहित राठौर की पत्नी रूचि के आंसू नहीं थम रहे हैं। तीनों बहनों को अपने भाई को खो जाने का इतना गम है कि बार-बार बेहोश होकर गिर जाती थीं। विवाहित बहन पूजा तड़प रही थी कि अब उसका भाई न होने से उसका घर सूना हो गया। क्योंकि तीनों बहनों में अकेला ही भाई था। लाल के बलिदान होने पर पूरा सभानगर गांव रो पड़ा।

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    जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में लगीं बदायूं के मोहित को गोलियां।

    जागरण संवाददाता, बदायूं। 27 साल के नौजवान मोहित राठौर...। एकलौते बेटे थे, जिन्हें कृषक पिता नत्थूलाल ने शान से सेना में भेजा। शनिवार सुबह अचानक सूचना आई कि जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में मोहित वीरगति को प्राप्त हो गए। ये शब्द नत्थू लाल के कानों को भेदते चले गए।

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    कुछ क्षण लगा कि पैरों के नीचे जमीन नहीं है, आंखों के सामने अंधेरा छा गया। वो संभले, आसमान की ओर देखा, शिकन हटाने के प्रयास में अपने चेहरे को हथेलियों में समेटा। लड़खड़ाती जुबान को संभालकर कहा- इकलौता बेटा चला गया, उस पर मुझे और पूरे देश को गर्व है...!

    पिता ने पत्थर बनकर पीर को छिपा लिया मगर, गर्भवती पत्नी रुचि रोते हुए बेसुध हो रही थीं। कुछ देर में होश आने पर पति का फोटो सीने से लगाकर सिसकने लगतीं। 

    2017 में सेना में हुए थे भर्ती

    सभानगर गांव के राइफलमैन मोहित राठौर वर्ष 2017 में सेना में भर्ती हुए थे। स्वजन के अनुसार, उनकी तैनाती राजस्थान के जैसलमेर में थी मगर, 20 दिन पहले सर्च आपरेशन के लिए कश्मीर बुला लिया गया था। शनिवार तड़के जानकारी मिली कि कुपवाड़ा में सर्च अभियान के दौरान आतंकियों से सामना हो गया। उनकी टोली ने एक आतंकी को मार गिराया। शेष आतंकियों ने मोहित पर निशाना साध दिया। चार गोलियां लगने के कारण वह बलिदान हो गए।

    डेढ़ वर्ष पहले उनका विवाह रुचि से हुआ था। उनके मुंह से सिर्फ इतना निकला कि गुरुवार को तो बात हुई ही थी। कह रहे थे कि नवंबर में छुट्टी लेकर आएंगे मगर, अब कैसे? शादी का फोटो गोद में रखे वह रोती रहीं।

    बेटे के बलिदान होने की सूचना के बाद उसकी पार्थिव देह का इंतजार करते स्वजन।

    फौजियों का गांव है सभानगर

    मोहित की मां कलावती का 12 वर्ष पूर्व देहांत हो चुका। तीन में दो बहनों की शादी हो चुकी। कृषक नत्थू लाल बताने लगे कि बेटा फरवरी में छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटा था, अब वह कभी नहीं आएगा...। मोहित के चचेरे भाई फौजी दीपक रजौरी में तैनात हैं। खानदान के सदस्य संतोष कुमार, ऋषिपाल और हरकेश भी सेना में हैं।

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    गांव के 12 अन्य लोग फौज में सैनिक हैं। दो युवा अग्निवीर हैं, सात लोग पुलिस में, दो पीएसी में और दो युवतियां महिला पुलिसकर्मी हैं। गांव पहुंचे थाना प्रभारी हरेंद्र सिंह ने बताया कि रविवार सुबह तक बलिदानी की पार्थिव देह गांव पहुंचेगी। दोपहर को सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।

    ‘पापा चिंता मत करना, बहन की शादी जिम्मेदारी हमारी’

     ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत समदनगर का मजरा सभानगर में नौनिहाल के बलिदान होने पर हर आंख नम थी। बलिदानी मोहित राठौर की पत्नी और बहनों के करुण क्रंदन से सभी द्रवित दिख रहे थे। फौज में नौकरी मिल जाने के बाद वह अपने पिता नत्थू राठौर को आश्वस्त करके गया था कि पापा, बहन की शादी की चिंता मत करना। शादी की पूरी जिम्मेदारी हम उठाएंगे, वापस लौटूकर रिश्ता पक्का कर देंगे।

    बेटे की बात याद करके पूरा परिवार फफक कर रो पड़ रहा था। बेटे के बलिदान की खबर सुनकर पिता दुखी तो जरूर थे, परेशान भी दिखाई दे रहे थे, लेकिन देश के लिए गर्व भी महसूस कर रहे थे। पार्थिव शरीर के आने का इंतजार किया जा रहा है।