Sanskarshala 2022 : डिजिटल शिक्षा-छात्रों के लिए अत्यधिक उपयोगी परंतु एक सीमा तक- नितिन बाबू
Sanskarshala 2022 इंटरनेट मोबाइल फोन लैपटाप कंप्यूटर इसी प्रकार के आधुनिक उपकरण के विकास एवं प्रयोग से आज की दुनिया अधिक से अधिक डिजिटल सुलभ व नजदीक हो गई है। डिजिटल कक्षाएं परंपरागत कक्षाओं का स्थान ले रही हैं।
बदायूं, जागरण संवाददाता। Sanskarshala 2022 : इंटरनेट , मोबाइल फोन, लैपटाप, कंप्यूटर वह इसी प्रकार के आधुनिक उपकरण के विकास एवं प्रयोग से आज की दुनिया अधिक से अधिक डिजिटल, सुलभ व नजदीक हो गई है। अनेक विद्यालय इंटरनेट के माध्यम से अपने छात्र छात्राओं को आनलाइन दिया स्मार्ट क्लास के माध्यम से शिक्षित कर रहे हैं। डिजिटल कक्षाएं परंपरागत कक्षाओं का स्थान ले रही हैं।
जिससे बच्चों में नित्य नई ज्ञान के साथ-साथ नई-नई तकनीकों से परिचित हो रहे हैं। वह बीते दिनों की बात हो गई जब फिर विद्यालय की चारदीवारी के बीच शिक्षक द्वारा परंपरागत तरीके से ब्लैक बोर्ड एवं किताबों के माध्यम से ही शिक्षण कार्य होता था। आज के समय में चाॅक का प्रयोग न के बराबर हो गए हैं।
इसकी जगह डिजिटल शिक्षण जैसे ई लर्निंग, पीपीटी, वीडियो प्रस्तुतियों आनलाइन प्रशिक्षण एवं आधुनिक डिजिटल प्लेटफार्म ने ले लिया है। आधुनिक कक्षाएं अधिक ज्ञानवर्धक एवं संवाद आत्मक संवाद आत्मक बन गई है बच्चे भी अधिक ध्यान लगाकर इसे स्क्रीन पर देख रहे हैं।
जिससे उनके सीखने की क्षमता में इजाफा हो रहा है, क्योंकि बच्चे दृश्य श्रव्य माध्यम से अधिक आसानी से कठिन से कठिन विषय को सीख लेते हैं। आनलाइन माध्यम से छात्र अपनी भाषा कौशल में निखार लाते हैं एवं मित्र नए-नए शब्दों को सीखते हैं और अपनी शब्दावली में सुधार करते हैं।
बहुधा छात्र छात्र अपने सहपाठियों के सामने अपनी जिज्ञासा शांत करने में संकोच महसूस करते हैं, परंतु डिजिटल माध्यम से रिकार्डिंग सत्र में शामिल होकर अपनी इस दुविधा को आसानी से शांत कर सकते हैं डिजिटल शिक्षा में सबसे बड़ा गुण यह है कि यह उपयोगकर्ता के सर्वथा अनुकूल है।
आप जहां भी हो अपने पाठ्यक्रम को आसानी से पढ़ सकते हैं। कभी-कभी कोई क्लास छूट भी जाती है तब भी आप स्कूल की वेबसाइट से अपनी सामग्री और फाइल को डाउनलोड कर छूट क्लास को पुनः देख अथवा सुन सकते हैं। इसके साथ ही आनलाइन शिक्षण से छात्र दूर के शिक्षकों एवं संकाय से अपनी जिज्ञासा को शांत कर अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।
परंतु इतने सारे गुण होने के बाद भी आनलाइन शिक्षण सभी छात्रों की पहुंच में संभव नहीं है क्योंकि यह महंगी है इसके सभी साधनों को जुटाना प्रत्येक छात्र के बस की बात नहीं है। इसके साथ ही इसके साथ ही डिजिटल दुनिया के बहुत सारे लोगों के साथ-साथ कुछ दुष्परिणाम भी हैं जैसे छात्रों में आभासी दुनिया का विकास परंतु वास्तविक दुनिया से दूरी।
रचनात्मक क्षमता का अभाव, अध्ययन में अलसी होना,डिजिटल दुनिया शिक्षण के बुनियादी तरीकों को बुलाती जा रही है। यहां तक कि बच्चे साधारण समस्या एवं दैनिक होमवर्क के लिए भी नेट की सहायता ले रहे हैं जो उनके मानसिक विकास में बाधक है।
इसके साथ ही बच्चे शिक्षक शिक्षण उपयोगी सामग्री के साथ साथ अन्य गलत सामग्री जो कि बच्चों के मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव डालती है, भी पहुंच सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि आनलाइन तकनीक का उपयोग माता पिता एवं शिक्षक की उपस्थिति में ही ठीक से प्रयोग एवं निर्देशित किया जाना चाहिए।
कुल मिलाकर डिजिटल प्रयोग के फायदे ज्यादा हैं , बशर्ते इसका छात्र-छात्राएं संतुलित एवं सही प्रयोग शिक्षण कार्य में करें और अपने ज्ञान में वृद्धि कर भविष्य को उज्जवल बनाएं। -नितिन बाबू माहेश्वरी, प्रवक्ता वाणिज्य प्रमोद इंटर कालेज, सहसवान, बदायूं