ककोड़ा मेला और उसकी नई कहानियां: मुकदमों का नया ठिकाना, जानिए नई व्यवस्था का सच
ककोड़ा मेला, जो पहले धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जाना जाता था, अब मुकदमों के निपटारे का एक नया केंद्र बन गया है। इस नई व्यवस्था के तहत, मेले में ही मुकदमों का निपटारा किया जा रहा है, जिससे लोगों को तुरंत न्याय मिलने में मदद मिल रही है। यह पहल लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है।
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जागरण संवाददाता, बदायूं। नए नियम के अनुसार ककोड़ा मेला कोतवाली केवल नाम की रह गई है। अब यहां कोई मुकदमे भी दर्ज नहीं होते, जो भी मामले संज्ञान में आते हैं। उनके मुकदमे सीधे कादरचौक थाने में दर्ज होते हैं। वर्ष 2021 में पहली बार कादरचौक थाने में तीन मुकदमे दर्ज हुए थे। 2022 में दो और 2023 व 24 में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ और न ही इस बार कोई मामला सामने आया है।
मिनी कुंभ कहा जाने वाला ककोड़ा मेला पिछले कई वर्षों से लगता आ रहा है और हर वर्ष यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से कोतवाली खोली जाती है। हर बार यहां कोतवाल नियुक्त होता है और निगरानी में सुरक्षा व्यवस्था रहती है। वर्ष 2020 तक ककोड़ा में जो भी घटनाएं हुईं, उनके मुकदमें ककोड़ा मेला कोतवाली में ही दर्ज हुए।
लेकिन मेला खत्म होने के बाद उनकी विवेचनाएं कासगंज जिले के सिकंदरपुर वैश्य थाने में ट्रांसफर कर दी गईं। पिछले कई वर्षों से यही परंपरा चली आ रही थी लेकिन वर्ष 2021 में परंपरा तोड़ी गई। क्योंकि ककोड़ा मेला का आयोजन बदायूं प्रशासन करवाता आ रहा है और सारी व्यवस्थाएं भी बदायूं पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों की रहती हैं।
यहां आने वाले अधिकतर श्रद्धालु भी बदायूं के होते हैं लेकिन दर्ज मामलों की विवेचनाओं के लिए कासगंज जिले के सिकंदरपुर वैश्य थाने तक भागना पड़ता था। वर्ष 2021 में यह परंपरा खत्म कर दी गई। उसके बाद से सीधे कादरचौक थाने में मुकदमे दर्ज किए जाने लगे। पहली बार कादरचौक थाने में तीन मुकदमे दर्ज हुए थे। वर्ष 2021 में पुलिस ने बड़ा जुआ पकड़ा था और शराब बेचने के दो मामले भी सामने आए थे। अगले वर्ष 2022 में दो मुकदमे दर्ज हुए लेकिन वर्ष 2023 से लेकर अब तक ककोड़ा मेला कोतवाली में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है
कासगंज जिले की सीमा में लगता है ककोड़ा मेला
कादरगंज पुल के इस पार कई गांव कासगंज जिले की सीमा में आते हैं। पूरा ककोड़ा मेला भी कासगंज जिले की सीमा में लगता है लेकिन ककोड़ा मेला की पूरी देखरेख बदायूं जिला प्रशासन की रहती है। कई गांव में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी कादरचौक पुलिस उठाती आ रही है। क्योंकि यहां के लोगों को सिकंदरपुर वैश्य थाना काफी दूर पड़ता है। इससे स्थानीय लोग मदद के लिए कादरचौक थाने ही पहुंच जाते हैं।
ककोड़ा मेला का पूरा क्षेत्र कासगंज जिले की सीमा में आता है। लेकिन पूरी देखरेख बदायूं पुलिस प्रशासन की रहती है। पहले ककोड़ा मेला कोतवाली में मुकदमे दर्ज होते थे। अब सीधे कादरचौक थाने में दर्ज कराए जा रहे हैं और उनकी विवेचना भी कादरचौक पुलिस करती है। अभी तक कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है।
- विजयेंद्र द्विवेदी, एसपी सिटी

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