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    सरकारी अस्पताल में भी नहीं मिल रहा सस्ता इलाज, डॉक्टर तय मेडिकल स्टोर से मंगा रहे दवा

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 04:44 PM (IST)

    बदायूं के जिला अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा बाहर की दवाइयां लिखने की शिकायतें लगातार आ रही हैं, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। डॉक्टर कुछ विशेष मेड ...और पढ़ें

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    बदायूं ज‍िला अस्‍पताल

    जागरण संवाददाता, बदायूं। सरकार भले ही निर्देश जारी करे, लेकिन जिला अस्पताल के डाक्टर और फार्मासिस्ट आदत में सुधार नहीं ला रहे हैं। बाहर से ही दवाइयां लगातार लिखी जा रही हैं। इस वजह से मरीज और तीमारदारों की जेब ढीली हो रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि डाक्टरों ने मेडिकल स्टोर भी तय कर रखे हैं और उन मेडिकल स्टोर से दवा मंगवाई जाती हैं। कई बार शिकायत भी हुई, लेकिन बाहर से दवा लिखने वाले डाक्टर और फार्मासिस्ट के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। इसकी वजह से उनके हौसले और भी ज्यादा बुलंद हैं।

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    आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। गरीब लोगों को सरकारी अस्पताल में ही अच्छा इलाज मिल सके इसके लिए भी पर्याप्त बजट दिया जा रहा है। इसके बावजूद जिला पुरुष और महिला अस्पताल के अधिकांश डाक्टर और फार्मासिस्ट मरीज व उनके तीमारदारों को बाहर से दवाएं मंगाने को हाथ में पर्चा थमा देते हैं।

    https://www.jagran.com/uttar-pradesh/bareilly-city-bareilly-hospital-twins-missing-controversy-5-staff-members-under-investigation-40070776.html

    यही नहीं वह यह भी बताते हैं कि उन्हें किस मेडिकल स्टोर से दवा लानी है। उस मेडिकल स्टोर मालिक द्वारा मनमाने रेट पर दवा दी जाती है। चर्चा है कि बाहर से दवा मंगाने पर उन्हें मोटा कमीशन मिलता है। यदि किसी जागरूक व्यक्ति द्वारा बाहर से दवा मंगाए जाने पर विरोध किया जाता है तो उन्हें बताया जाता है कि इलाज सही होने की कोई गारंटी नहीं होगी।

    ऐसे में मरीज और उनके तीमारदार बताए अनुसार मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदने को मजबूर हैं। पिछले दिनों जिले के दौरे पर आए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भी नाराजगी जताई थी और कहा था कि मरीजों को बाहर से दवाएं न लिखी जाएं और अगर शिकायत आई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद सुधार नहीं हुआ।

    डाक्टर और कर्मचारियों का कहना है कि यह कहना गलत है कि बाहर के मेडिकल स्टोर से दवाइयां मंगाई जाती हैं। मरीज और उनके तीमारदार खुद ही कहते हैं कि इलाज अच्छा हो जाए भले ही दवाइयां बाहर से मंगाई जाएं।

    सीएमएस ने लगाई कर्मचारी को फटकार

    गुरुवार को एक मरीज जिला अस्पताल आया था। इमरजेंसी में उसकी बाहर की दवाएं लिख दी गईं। जब उसने मेडिकल स्टोर से दवा खरीदी तो वह एक हजार रुपये की की थीं। उसी दौरान उसे एक जागरूक व्यक्ति मिला।

    वह मरीज को लेकर सीएमएस के पास पहुंच गया और उन्हें मामले की जानकारी दी। इस पर सीएमएस ने इमरजेंसी पहुंचकर कर्मचारी को फटकार लगाई और उसे चेतावनी दी कि अगर दोबारा बाहर की दवाइयां लिखीं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

    महिला अस्पताल में बाहर के कराए जाते हैं अल्ट्रासाउंड

    सबसे ज्यादा खराब हालत महिला अस्पताल की है। यहां महिलाएं इसलिए आती हैं कि उनका सस्ता और अच्छा उपचार हो सके लेकिन कई डाक्टर मरीजों को अल्ट्रासाउंड और खून की जांच तक बाहर कराने को लिख रहीं हैं। इसमें मरीजों के दो-ढाई हजार रुपये खर्च हो जाते हैं।

    इसी खेल के चलते महिला अस्पताल के ऊपर कई पैथोलाजी लैब और अल्ट्रासाउंड सेंटर चल रहे हैं। अस्पताल के सामने अल्ट्रासाउंड सेंटर पर तो हर समय भीड़ लगी रहती है। वहां अधिकतर महिला अस्पताल से ही महिलाएं भेजी जाती हैं।

     

    यहां अस्पताल में सभी को बता दिया गया है कि कोई भी डाक्टर या कर्मचारी बाहर की दवाएं नहीं लिखेगा। अगर कोई बाहर की दवा लिखता हुआ पकड़ा गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

    - डा. अमित वार्ष्णेय, सीएमएस जिला अस्पताल


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