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राष्ट्रीय गीतकार के गांव में ही हिंदी बेगानी

By Edited By: Published: Thu, 11 Sep 2014 11:23 PM (IST)Updated: Thu, 11 Sep 2014 11:23 PM (IST)

बदायूं, वजीरगंज : अपनी कविताओं के दम पर देश-दुनियां में बदायूं का नाम रोशन करने वाले राष्ट्रीय गीतकार डा. उर्मिलेश शंखधार के गांव भतरी गोवर्धनपुर में ही हिंदी बेगानी हो गई है। करीब दो हजार आबादी वाले इस गांव में एक भी व्यक्ति हिंदी से उच्च शिक्षित नहीं है। हालात यह है कि गांव में पुस्तकालय होना तो दूर कोई इंटरकालेज नहीं है। खास बात यह है कि इस गांव से डा. उर्मिलेश के बाद दूसरा कोई कविता या फिर गद्य लेखन के क्षेत्र में आगे नहीं आ सका।

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बिल्सी तहसील क्षेत्र का भतरी गोवर्धनपुर गांव किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इस गांव में जन्में राष्ट्रीय गीतकार डा. उर्मिलेश ने हिंदी कविताओं के माध्यम से देश ही नहीं अपितु दुनियां में बदायूं जिले का नाम रोशन किया है। पिछड़ेपन और शिक्षा के अभाव में उनके गांव में ही हिंदी बेगानी हो गई है। यह सुनकर आश्चर्य होगा कि ंिहंदी को आसमानी ऊंचाई तक पहुंचाने वाले उर्मिलेश के गांव की आबादी तो करीब दो हजार है, लेकिन यहां के किसी भी शख्स ने पीएचडी तो दूर हिंदी में एमए तक नहीं किया। देश-प्रदेश में आज उनका साहित्य जरूर पढ़ा जा रहा है, लेकिन गांव के लोग उनके साहित्य से दूर हैं। गांव में एक अदद पुस्तकालय न होने से ग्रामीण आज भी साहित्य से वंचित है। हिंदी के पुरोधा के गांव में हिंदी बेगानी होने का सच और जानना चाहा तो गांव के बड़े बुजुर्गो ने बताया कि राष्ट्रीय गीतकार डा.उर्मिलेश के गांव के ग्रामीण होने के नाते सभी फख्र महसूस जरूर करते हैं, लेकिन उनके नाम का गांव को कोई फायदा नहीं मिला। यही वजह है कि कक्षा आठ के आगे की पढ़ाई को बच्चे वजीरगंज या फिर बिल्सी की दौड़ लगाते हैं। कवि सम्मेलन के जरिए ग्रामीण डा. उर्मिलेश की काव्य रचनाओं को सुन पाते कि वह हक भी पिछले करीब 10 सालों से उनसे छिन गया है।

बेटा-बेटी ने सहेजी विरासत

डा. उर्मिलेश की साहित्यिक विरासत को उनके पुत्र डा. अक्षत अशेष और पुत्री सोनरूपा विशाल सहेज रहे हैं, लेकिन इनका रहना अब बदायूं शहर में होता है। बदायूं क्लब में डा. उर्मिलेश की मूर्ति लगी है और लावेला चौक से पुलिस लाइंस चौराहे तक की सड़क की सड़क का नामकरण भी डा. उर्मिलेश मार्ग किया गया है। डा. उर्मिलेश जन चेतना समिति की ओर से समय-समय पर साहित्यिक आयोजन भी किए जाते हैं। डा. उर्मिलेश की याद में बदायूं क्लब में प्रति वर्ष बदायूं महोत्सव का भी आयोजन होता है, जिसमें साहित्य, कला से जुड़ी प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया जाता है। परंतु यह सब गतिविधियां जिला मुख्यालय पर ही होती हैं।


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