Updated: Fri, 12 Sep 2025 05:30 PM (IST)
बदायूं के सुखौरा गांव में एक मुस्लिम मां ने बेटे के शव को दफनाने की जिद की जबकि परिवार वाले अंतिम संस्कार करना चाहते थे। रिश्तेदारों के नाराज होने पर और कोई कंधा देने वाला ना होने पर महिला ने ग्रामीणों से हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने का आग्रह किया। ग्रामीणों ने उसकी बात मानकर अंतिम संस्कार किया।
संवाद सहयोगी, दातागंज। कोतवाली क्षेत्र के गांव सुखौरा में बुधवार शाम से एक युवक के शव का अंतिम संस्कार इसलिए नहीं हो पाया कि उसकी मां मुस्लिम धर्म के अनुसार उसको दफनाना चाहती थी। जब उसके रिश्तेदारों ने यह सुना को तो वह शव को छोड़कर चले गए।
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जब सुबह कोई व्यक्ति उसको कंधा देने वाला नहीं मिला, तो उसकी मां को रिश्तेदारों की बात माननी पड़ी। बाद में उसके कहने पर ग्रामीणों ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया।
गांव सुखौरा निवासी ठा. ओमकार सिंह ने करीब 35 साल पहले मुस्लिम लड़की से शादी की थी। बाद में उसका नाम बदलकर लक्ष्मी रख लिया था। ठा. ओमकार सिंह के दो बेटे हुए जिनमें 32 वर्षीय संजू सबसे बड़ा था और उसे छोटा बेटा बिरजू है, जो इस समय दिल्ली में रहकर किसी कंपनी में काम कर रहा है।
गांव वालों के अनुसार संजू ने भी एक मुस्लिम लड़की से शादी की है। कुछ समय से संजू की तबीयत खराब चल रही थी। बुधवार को अचानक उसकी मृत्यु हो गई।
इसकी सूचना पर ओमकार सिंह के तमाम रिश्तेदार पहुंच गए और वह संजू के शव का अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहे थे लेकिन बाद में पता चला की ओमकार सिंह की पत्नी अपने मुस्लिम धर्म के अनुसार बेटे संजू के शव दफन को कराना चाहती है। उसने शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया, जिससे सभी रिश्तेदार और गांव के लोग नाराज हो गए और वह शव छोड़कर अपने-अपने घर चले गए।
रात भर संजू का शव घर पर रख रहा। सुबह तक कोई व्यक्ति उसे कंधा देने नहीं आया। जब सुबह लक्ष्मी को एहसास हुआ कि उसके रिश्तेदार नाराज हो गए हैं। उसने हिंदू धर्म के व्यक्ति से शादी की। अब वह और उसके बच्चे भी हिंदू हैं।
तब उसने गांव वालों से अंतिम संस्कार करने को कह दिया। तब गांव वालों ने आकर उसका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान कोतवाली पुलिस भी वहां मौजूद रही।
महिला ने बुधवार को शव को दफन करने से इन्कार कर दिया था लेकिन सुबह उसके ही कहने पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसमें कोई विवाद नहीं हुआ है और न ही कोई शिकायती पत्र दिया गया है।
- केके तिवारी, सीओ दातागंज
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