Badaun News: दो लाख की रिश्वत लेते चकबंदी विभाग का पेशकार गिरफ्तार, सीओ फरार
बदायूं जिले में एक और सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। उसके पास से केमिकल लगे दो लाख रुपये बरामद हुए हैं। बताया जा रहा है कि यह सरकारी कर्मचारी सीओ चकबंदी बिसौली का पेशकार था और उसने सीओ के कहने पर दो लाख रुपये की रिश्वत ली थी। सीओ चकबंदी हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं मान रहे थे।
संवाद सहयोगी जागरण, बिसौली (बदायूं)। जिले में रिश्वतखोर कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सोमवार को एक और सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। उसके पास से केमिकल लगे दो लाख रुपये बरामद हुए हैं। बताया जा रहा है कि यह सरकारी कर्मचारी सीओ चकबंदी बिसौली का पेशकार था और उसने सीओ के कहने पर दो लाख रुपये की रिश्वत ली थी।
सीओ चकबंदी हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं मान रहे थे और वह महिला के नाम जमीन नहीं कर रहे थे। इसके बदले वह 10 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे। एंटी करप्शन ने दोनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। सीओ चकबंदी फरार बताया जा रहा है।
इस्लामनगर ब्लाक क्षेत्र के गांव सिठौली निवासी अजीत सिंह का कहना है कि उनकी मां मंजुल देवी ने अपने गांव की रामादेवी, रामबाबू और राजेंद्र से कुछ जमीन खरीदी थी। उसके बाद वह जमीन उनकी मां के नाम आ गई थी लेकिन सीओ चकबंदी बिसौली प्रमोद कुमार ने वह जमीन नवीनपर्ती में दर्ज कर ली। उनकी मां का नाम काट दिया गया और जमीन ग्राम सभा के रूप में दर्ज कर दी गई।
जब उन्हें इसके बारे में जानकारी हुई तो वह सीधे हाईकोर्ट चले गए। उन्होंने सीओ चकबंदी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनके मामले में सुनवाई हुई तो सीओ का आदेश खारिज कर दिया गया और हाईकोर्ट ने उनकी मां के नाम जमीन करने के आदेश कर दिए।
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बताया जा रहा है कि यह आदेश दिसंबर में आया था। तब से चकबंदी सीओ लगातार मामले को टाल रहे थे। वह नाम दर्ज करने के एवज में 10 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे। फिर दो लाख रुपये में बात तय हो गई।
इस दौरान अजीत सिंह ने एंटी करप्शन टीम को सूचना दे दी और सोमवार दोपहर टीम ने सीओ चकबंदी के पेशकार रामनरेश को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। टीम को देखकर सीओ चकबंदी कार्यालय से भाग गया।
रामनरेश हरदोई जिले में थाना विलग्राम क्षेत्र के गांव घनसरे का रहने वाला है। एंटी करप्शन टीम ने दोनों के खिलाफ थाना सिविल लाइंस में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है। देर शाम टीम ने रामनरेश के आवास पर भी तलाशी ली।
रिश्वतखोरी को चतुर्थश्रेणी कर्मचारी को बना दिया था पेशकार
इस मामले में चौकाने वाली बात यह सामने आई है कि पकड़े गए रामनरेश का मूल पद चतुर्थश्रेणी कर्मचारी का है। चकबंदी विभाग पहले से रिश्वतखोरी के लिए बदनाम है। रामनरेश सीओ प्रमोद कुमार का खास व्यक्ति है। बताया जा रहा है कि सीओ उसी के माध्यम से रिश्वत लेता था और वह किसी से कुछ नहीं कहता था। उसमें रामनरेश का भी हिस्सा रहता था। इससे सीओ ने चतुर्थश्रेणी कर्मचारी को अपना पेशकार बना दिया था।
लालच में आकर दिसंबर से टाल रहा था हाईकोर्ट का आदेश
वर्तमान समय में सबसे ऊपर न्यायपालिका मानी जाती है और उसका आदेश सभी को मानना पड़ता है लेकिन चकबंदी विभाग में हाईकोर्ट के आदेश को भी लगातार टाला जा रहा है। सीओ इस लालच में था कि उसे भी कुछ रिश्वत मिल जाए। इससे वह लगातार 10 लाख रुपये की मांग कर रहा था। आखिरकार अजीत सिंह को दो लाख रुपये देने के लिए हामी भरनी पड़ी थी।
पिछले दिनों पकड़ा गया था ग्राम पंचायत सचिव
पिछले दिनों बिसौली कोतवाली क्षेत्र से ही ग्राम पंचायत सचिव विनीत सक्सेना रिश्वत लेते पकड़ा गया था। वो भी कोर्ट का आदेश नहीं मान रहा था और लालच में आकर लगातार टालने का प्रयास कर रहा था। उससे पहले जिले में इंस्पेक्टर, दारोगा, सिपाही और कई अन्य कर्मचारी पकड़े जा चुके हैं।
एंटी करप्शन टीम को सूचना मिली थी कि सीओ चकबंदी दिसंबर से लगातार 10 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि जमीन मंजुल देवी के नाम की जाए। वह रिश्वत के चक्कर में जमीन नाम नहीं कर रहे थे। सोमवार दोपहर उनके पेशकार को दो लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें पेशकार और सीओ दोनों के खिलाफ थाना सिविल लाइंस में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। सीओ को तलाश की जा रही है।
यशपाल सिंह, सीओ एंटी करप्शन
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