गंगा की कटरी में शाति का संदेश देता बुद्ध विहार
गंगा की कटरी जो कभी बदमाशों की शरणस्थली रही थी अब वहा शाति का संदेश दिया जा रहा। बुद्ध विहार विकसित कर वहा भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है। धा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बदायूं : गंगा की कटरी जो कभी बदमाशों की शरणस्थली रही थी, अब वहा शाति का संदेश दिया जा रहा। बुद्ध विहार विकसित कर वहा भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है। धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनके जरिये शाति के संदेश दिए जा रहे।
जिला मुख्यालय से 42 किमी दूर गंगा की कटरी में भकरौली गाव है। वहा रहने वाले नरेंद्र सिंह शाक्य फर्रुखाबाद स्थित संकिशा के बुद्ध विहार से जुड़े हुए थे। जब भी वहा कोई आयोजन होता तो उसमें शामिल होते। वहीं जापान, श्रीलंका, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया तक के लोगों से मुलाकात होती थी। वहा ईश्वर दयाल बौद्ध भी अक्सर आते थे। 2008 में उनके परिचय के जरिये कोरिया के मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त मुनीम जैन से मुलाकात हुई। नरेंद्र कहते हैं कि उनसे पंचशील के सिद्धात पर चर्चा हुई। उनके विचारों से इतने प्रभावित हुए कि अपने गाव में बुद्ध विहार की स्थापना करने की ठान ली। अपनी दो बीघा जमीन पर काम शुरू कराने की प्रक्रिया शुरू की। प्रतिमा लगाने की बारी आई तो दक्षिण कोरिया से भगवान बुद्ध की प्रतिमा मंगवा ली गई। निर्माण को लेकर प्रशासन से अनुमति में कुछ देरी हुई। ऐसे में तख्त पर रखकर मूर्ति पूजा होने लगी। बाद में शासन से अनुमति लेकर 2009 में बुद्ध विहार की स्थापना कराई गई। नियमित पूजा-पाठ, बुद्ध प्रार्थना होने लगी। गाव के बड़ी संख्या में लोग बुद्ध बिहार से जुड़ गए। आसपास के करीब दो दर्जन गावों के लोग भी बुद्ध विहार आने लगे। नियमित पूजा-पाठ और बुद्ध वंदना के बीच गाव माहौल बदलता गया।
पंचशील के सिद्धात ने बदला जीवन
नरेंद्र सिंह के जीवन में पंचशील के सिद्धात से बड़ा बदलाव आया। हिंसा, चरित्र निर्माण, छल-कपट, चोरी, नशा त्याग पर खुद अमल करते हैं, दूसरों को भी इसी राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गाव में विपस्यना केंद्र की स्थापना के लिए एक करोड़ 16 लाख का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार से मदद मागी है।

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