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    पहली बार सुना रिश्वत लेने का ऐसा तरीका! चपरासी ने भी दिखाई खूब स्मार्टनेस, एंटी करप्शन टीम ने पकड़ लिया माथा

    Updated: Thu, 01 May 2025 09:30 PM (IST)

    बदायूं में पहली बार रिश्वत लेने का अनोखा मामला सामने आया है। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के शाखा प्रबंधक राजीव गंगवार और चपरासी दयाराम को सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार किया है। आरोप है कि दोनों ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत ऋण स्वीकृत करने के लिए 38 हजार रुपये की रिश्वत ली थी।

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    रिश्वत लेने का बिल्कुल अलग तरीका - प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, बदायूं। कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत मांगे तो इन नंबरों पर संपर्क करें...। आपके मोबाइल नंबर पर भी ऐसे जागरुकता मैसेज आए होंगे, मगर इसका उपयोग देवव्रत ने किया। उन्होंने इसी मैसेज में लिखे फोन नंबरों के जरिये सीबीआइ एंटी करप्शन टीम से रिश्वत की शिकायत की।

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    इसके बाद लखनऊ से आई टीम ने रिश्वत लेने में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के शाखा मैनेजर राजीव गंगवार और चपरासी दयाराम को गिरफ्तार कर लिया। दोनों नकदी के बजाय चेक के तौर पर रकम ली थी। चपरासी ने 38 हजार रुपये युवा के खाते में जमा कराए, इसके बाद उनसे हस्ताक्षर करा चेक ले लिया था।

    मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के लिए किया था आवेदन

    देवव्रत ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का लाभ पाने के लिए जिला उद्योग केंद्र में आवेदन किया था। वहां से उनका आवेदन स्वीकृत हुआ और उनकी इच्छा अनुरूप फाइल सहसवान की पीएनबी ब्रांच में भेज दी गई। देवव्रत के अनुसार बैंक के चपरासी दयाराम ने पचार हजार रिश्वत की मांग की। 25 अप्रैल को सीबीआइ की एंटी करप्शन टीम को प्रकरण बताया।

    चेक में रकम भरवाई

    सीबीआइ अधिकारियों के कहने पर बुधवार शाम को देवव्रत बैंक मैनेजर राजीव गंगवार को रिश्वत के 38 हजार रुपये देने पहुंचे। मैनेजर ने नकदी लेने के बजाय चपरासी दयाराम से संपर्क करने को कहा। उसने भी रुपये हाथ में लेने के बजाय देवव्रत के खाते में जमा कराए। इसके बाद उनसे एक चेक में रकम भरवाकर हस्ताक्षर करा लिए।

    चपरासी चेक लेकर मैनेजर के पास पहुंचा। इसी दौरान सीबीआइ टीम ने उसे पकड़ लिया। टीम को चेक मिल गया, मगर रिश्वत में भेजे गए 38 हजार रुपये तलाशने में दो घंटे लगे। बाद में कैश काउंटर की गिनती कराने पर पूर्व से नोट उन्हीं नंबरों के पांच-पांच सौ के नोट बरामद हुए। एसएसपी डा. बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि पूछताछ के बाद टीम मैनेजर राजीव व चपरासी दयाराम को लखनऊ ले गई।