Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जीवन में बड़े परिवर्तन ला सकते हैं छोटे-छोटे प्रयास

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 12 Nov 2018 12:29 AM (IST)

    बारिश की बूंदें भले ही छोटी हों, लेकिन उनका लगातार बरसना बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है।

    जीवन में बड़े परिवर्तन ला सकते हैं छोटे-छोटे प्रयास

    बदायूं: बारिश की बूंदें भले ही छोटी हों, लेकिन उनका लगातार बरसना बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है। वैसे ही हमारे छोटे-छोटे प्रयास भी ¨जदगी में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। जब तक आपके अंदर जुनून और विश्वास है और आप मेहनत के लिए तैयार हैं तब तक दुनिया में आप कोई भी असंभव कार्य कर सकते हैं। कुछ भी पा सकते हैं। ¨जदगी में किसी भी मंजिल या मुकाम को जाने के लिए सबसे आवश्यक चीज आपकी मेहनत और धैर्य है। अगर आप ईमानदारी से मेहन करते हुए और कभी भी धैर्य न खोते हुए अपनी मंजिल या लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत और कोई थी अड़चन आपको सफल होने से नहीं रोक सकती है। मंजिल तो मिल ही जाएगी भटकते ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं। ऐसी ही कहानी है जिम्नास्टिक में भारत को विश्व पटल पर प्रसिद्धि दिलाने वाली देश की प्रथम महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर की। जिनका जन्म त्रिपुरा राज्य के अगरतला में हुआ था। उन्होंने अनुकूल वातावरण व सुविधाएं न होने के बाद भी मुकाम हासिल किया और व्यक्ति के लिए प्रेरणा बनीं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब दीपा ने छह वर्ष की उम्र में जिम्नास्टिक की ट्रे¨नग शुरू की, तब कई तरह की परेशानियों का उन्हें सामना करना पड़ा। उनके पैर के तलबे एकदम समतल थे जो जिम्नास्ट के लिए अच्छी बात नहीं होती। इस बात ने दीपा के इरादों को कमजोर नहीं पड़ने दिया। उन्होंने हौसला बनाया। वह और भी ज्यादा मेहनत करने लगीं। व्यापक प्रशिक्षण के माध्यम से दीपा अपने पैर को विकसित करने में सक्षम हो गईं। दीपा ने जिम्नास्ट में अपना करियर बहुत कम उम्र में ही शुरू कर दिया था। वर्ष 2002 में दीपा ने अपना मेडल अगरतला में जीता। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 80 पदक जीत चुकी हैं। जिसमें 67 गोल्ड मेडल हैं। दीपा को खेल के शानदार प्रदर्शन पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

    कहा जाता है कि कोई भी काम असंभव नही होता। बल्कि थोड़ा कठिन होता है। दीपा करमाकर आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा हैं। परेशानी और मुश्किलों में भी डटकर मुकाबला करने से ही हमें लक्ष्य की प्राप्ति होती है। यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा, जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा, ना हो मायूस ना घबरा अंधेरों से मेरे साथी, इन्हीं रास्तों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा।

    - पूजा वर्मा, प्रवक्ता, राजकीय इंटर कॉलेज, बदायूं