एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई में रिश्वतखोर एसएसआई गिरफ्तार, चार्जशीट लगाने के बाद लिए थे 12 हजार रुपये
बदायूं के सहसवान कोतवाली में एसएसआई कमलेश सिंह रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार हुए। वह वादी को आरोपितों के नाम निकालने की धमकी दे रहा था और कार्रवाई का आश्वासन भी। एंटी करप्शन टीम ने उन्हें 12000 रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा। इंस्पेक्टर ने मुंशियों को रिश्वत न लेने की चेतावनी दी थी। वादी का मुकदमा भी संदिग्ध लग रहा था क्योंकि उसका गवाह मुकर गया था।

जागरण संवाददाता, बदायूं। सहसवान कोतवाली में तैनात एसएसआई कमलेश सिंह अपने दोनों हाथों में लड्डू थामना चाहता था। वह एक ओर वादी को आरोपितों के नाम निकालने की धमकी दे रहा था और दूसरी ओर उनपर कार्रवाई का आश्वासन भी दे रहा था। वह एक आरोपित के खिलाफ चार्जशीट भी लगा चुका था। इसके बावजूद रुपयों की डिमांड कर रहा था। इससे वादी का दिमाग सटक गया और उसने एंटी करप्शन टीम को सूचना दे दी। बाद में वह रंगे हाथ पकड़ा गया।
12 हजार की रिश्वत में पकड़ा था
अभी चार दिन पहले सहसवान कोतवाली में तैनात एसएसआई कमलेश सिंह 12000 रुपयों की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया था। उसके खिलाफ उझानी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है। हालांकि यह मुकदमा एंटी करप्शन टीम बरेली को ट्रांसफर हो गया है और कमलेश सिंह जेल भी जा चुका है लेकिन उसकी हरकत अब धीरे-धीरे सामने आ रही है।
कुछ सूत्रों के मुताबिक कोतवाली क्षेत्र के गांव अलैहदादपुर धोबई निवासी दिनेश मिश्रा ने तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसकी विवेचना एसएसआई कमलेश सिंह कर रहा था।
दोनों हाथों में लड्डू थामना चाहता था एसएसआई
दिनेश मिश्रा ने इस मामले में अपने रिश्तेदार को गवाह बनाया था। जब उस गवाह से जानकारी ली गई तो उसने बताया था केवल आरोपित रामकुमार ने मारपीट की है। इस मारपीट में वेद प्रकाश और हरीबाबू शामिल नहीं है। इसके बारे में पूरी कोतवाली को जानकारी थी लेकिन इसके बावजूद एसएसआई डबल गेम खेल रहा था।
एक ओर वह आरोपित रामकुमार के खिलाफ चार्जशीट लगा चुका था और रुपये लेकर दो आरोपितों के नाम निकाल चुका था। इसके बावजूद वह दिनेश मिश्रा को कार्रवाई का आश्वासन दे रहा था। उसने कहा था कि वह जान लेवा हमले की धारा नहीं हटाएगा। इसके एवज में उसे 20 हजार रुपये देने होंगे और दिनेश ने 12 हजार रुपये देकर उसे पकड़वा दिया।
इंस्पेक्टर ने सचेत कर दिए थे कोतवाली के मुंशी
इस मामले में गनीमत यह रही कि एसएसआई पकड़ा गया। नहीं तो कोतवाली के मुंशी भी लपेटे में आ जाते। इंस्पेक्टर राजेंद्र बहादुर सिंह को पता चल गया था कि दिनेश मिश्रा रुपये देकर अपने मामले में कार्रवाई कराना चाहता है। उन्होंने मुसियों को बता दिया था कि किसी भी कीमत पर रिश्वत नहीं लेना है। अगर रिश्वत ली तो उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाएगी। इससे मुंशी उसकी बातों में नहीं आए और वह जेल जाने से बच गए।
एसएसआई ने एक आरोपित पर चार्जशीट लगाई लेकिन रुपये लेना गलत था। इसका परिणाम भी उन्हें भुगतना पड़ा लेकिन जिस व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। उसका मुकदमा भी संदिग्ध प्रतीत हो रहा था। उसका गवाह भी मुकर गया था। उसके बयान की वीडियो बनाई गई थी, जिससे एक आरोपित पर चार्जशीट लगाई गई। - राजेंद्र बहादुर सिंह, इंस्पेक्टर सहसवान
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