सालभर में 50 मिलावटखोर हुए बेनकाब, फिर भी फूड प्रोडक्ट्स में जमकर हो रही मिलावट
बदायूं में मिलावट का कारोबार चरम पर है जिसमें खाद्य विभाग की भूमिका संदिग्ध है। विभाग ने कुछ मिलावटखोरों को पकड़ा लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं की। दूध तेल और मसालों में मिलावट आम है। सरकार के सख्त निर्देश के बावजूद मिलावटखोरों पर लगाम नहीं लग पा रही है। छापे से पहले ही सूचना लीक होने से मिलावटखोर बच निकलते हैं।

जागरण संवाददाता, बदायूं । मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई न होने से यह बात तो साफ हो रही है कि कहीं ना कहीं खाद्य विभाग की मिलीभगत आवश्य है। यह अलग बात है कि एक वर्ष में विभाग ने करीब 50 मिलावटखोर बेनकाब किए हैं, लेकिन विभाग ने दोबारा से इन दुकानदारों के यहां छापा नहीं मारा और न ही किसी चीज का सैंपल लिया जबकि जिले में मिलावट का धंधा काफी बड़े स्तर पर चल रहा है। सबसे अधिक मिलावट दूध या दूध से बनी चीजों में हो रहा है। दूसरे नंबर पर सरसों का तेल, बेसन, धनिया पाउडर, मिर्च पाउडर आदि खाद्य पदार्थ हैं।
मिलावटखोरी को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारी और खाद्य विभाग के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं और यह भी साफतौर पर कहा है कि जो भी दुकानदार मिलावट करते पकड़ें जाएं। उनका फोटो चौराहे पर लगाया जाए ताकि आम जनता को उनके बारे में जानकारी हो सके।
जिले में 15 हजार से ज्यादा दुकानदार
मिलावटखोरों के खिलाफ शासन के आदेश से खलबली अवश्य रही लेकिन विभाग ने शासन के आदेश के क्रम में कार्रवाई शुरू नहीं की। पूरे जिले में 15 हजार से ज्यादा दुकानदार हैं लेकिन खाद्य विभाग ने एक साल में लगभगा 50 मिलावटखोर दुकानदारों को बेनकाब किया है।
उनके सैंपल लेकर जांच कराई गई तो उनमें मिलावट पाई गई। यह अलग बात है कि ऐसे दुकानदारों पर जुर्माना डाला गया। आम लोगों का मानना है कि यदि मिलावटखोर दुकानदारों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होती तो शायद दूसरे दुकानदारों की भी हिम्मत नहीं पड़ती। यही वजह है कि मिलावट का धंधा आज भी रुक नहीं पा रहा।
गौर करने वाली बात तो यह है कि जब कभी भी खाद्य विभाग द्वारा किसी भी स्थान पर छापे की कार्रवाई की जाती है, तो दुकानदारों को पहले से उनके बारे में सूचना मिल जाती है, जिसकी वजह से मिलावटखोर दुकानदार अपनी दुकानों को बंद करके इधर-उधर खिसक जाते हैं। जिन दुकानों पर मिलावट के आरोप में दुकानदारों को पकड़ा गया है। उनकी दुकानों पर फिर से खाद्य विभाग ने छापामार कार्रवाई नहीं की। उन दुकानदारों पर मामूली जुर्माना डाल दिया गया, जिसकी वजह से उनके द्वारा और भी मिलावट का धंधा किया जा रहा है और उनके हौसले भी बुलंद हैं।
इन खाद्य पदार्थों में सबसे ज्यादा हो रही मिलावट
जानकारों की मानें तो मिलावट का धंधा वैसे तो सभी खाद्य पदार्थों में हो रहा है लेकिन आमतौर पर दूध या दूध से बने पदार्थ में सबसे अधिक मिलावट की जा रही है। इनमें ऐसे रासायनिक इस्तेमाल किया जा रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक हैं लेकिन मिलावटखोरों को उन चीजों से काफी मुनाफा हो रहा है। इसके अलावा सरसों के तेल में भी ज्यादा मिलावट हो रही है।
मौजूदा वक्त में सरसों के तेल का दाम अधिक है जबकि रिफाइंड का दाम कम है। इसलिए घटिया किस्म के रिफाइंड को सरसों के तेल में मिलाकर बेचा जा रहा है। इनके अलावा खोवा, दही, पनीर, बेसन, मैंगोसेक, मैदा, रसगुल्ला, बफीर्, पेड़ा, मलाई कुल्फी, रबड़ी मलाई, धनिया, मिर्च पाउडर में भी काफी मिलावट की जा रही है।
इन इलाकों में दूध में हो रही मिलावट
दूध में इस कदर मिलावट हो रही है कि ग्राहकों को शुद्ध दूध नसीब नहीं हो पा रहा है। दातागंज, उझानी, सहसवान, बिल्सी, बिसौली आदि स्थानों के ग्रामीण क्षेत्र में तैयार किया हुआ दूध मार्केट में भेजा जा रहा है। लोगों द्वारा शिकायत करने के बाद भी विभाग रासायनिक पदार्थ से तैयार करने वाले दूध विक्रेताओं के खिलाफ नहीं कर रहा।
हर महीने खाद्य पदार्थों के सैंपल लेकर जांच कराई जा रही है। जिनकी दुकानों के खाद्य पदार्थ मिलावटी पाए जा रहे हैं। उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है। संबंधित दुकानों के दोबारा से सैंपल लिए जा रहे हैं। अगर उनकी दुकान पर दोबारा खाद्य पदार्थ में मिलावट पाई जाती है। उनके फोटो जारी किए जाएंगे। -सुखलाल यादव, सहायक खाद्य आयुक्त
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