एक साल में 400 करोड़ के कर्जदार हो गए बदायूं के डेढ़ लाख उपभोक्ता, कई गांवों में दी गई 15 दिन बाद कनेक्शन काटने की चेतावनी
विद्युत विभाग की ओर से भले ही एक मुश्त समाधान योजना लागू कर दी गई है और लगातार बिल वसूली पर ध्यान देने का दावा भी किया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर कर्जदा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बदायूं। विद्युत विभाग की ओर से भले ही एक मुश्त समाधान योजना लागू कर दी गई है और लगातार बिल वसूली पर ध्यान देने का दावा भी किया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर कर्जदार उपभोक्ताओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। बताया जा रहा है कि पिछले साल उपभोक्ताओं पर करीब चार सौ करोड़ रुपया बकाया था, जो अब बढ़कर आठ सौ करोड़ हो गया है। एक दिसंबर से बिल वसूली भी शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी तक वसूली एक करोड़ तक नहीं पहुंची है।
एक मुश्त समाधान योजना पिछले साल भी लागू हुई थी और विद्युत विभाग के अधिकारियों ने इसका जोर शोर से प्रचार प्रसार भी कराया था। जगह-जगह कैंप भी लगाए गए थे। तमाम कर्मचारियों को बिल वसूली की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी लेकिन उस दौरान उपभोक्ताओं को मूलधन में छूट नहीं आई थी। पिछले साल उपभोक्ताओं पर करीब चार सौ करोड़ रुपया बकाया था। दो माह तक लगातार योजना चली थी लेकिन इसके बावजूद कुछ प्रतिशत ही वसूली हो पाई। उपभोक्ताओं को डराया धमकाया गया, उनके कनेक्शन काटे गए लेकिन इसके बावजूद वसूली में बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई।
पिछले एक साल से लेकर बकाया धनराशि चार सौ करोड़ से लेकर आठ सौ करोड़ तक पहुंच गई। यानी जो बिल वसूली पिछले साल कराई जानी थी। वह आज भी पहाड़ के रूप में खड़ी हुई है। अब तो एक साल में बकाया धनराशि बढ़कर दोगुणा हो गई है। यह बहुत बढ़ा लक्ष्य है और विद्युत विभाग के लिए सामान्य नहीं है। इस बार भी योजना को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन यह योजना कितनी सफल होती है। यह तो योजना के अंत में पता चलेगा।
कई गांव में दी गई चेतावनी, 15 दिन बाद काट दिए जाएंगे कनेक्शन
एक मुश्त समाधान योजना तीन माह के लिए चालई गई है लेकिन अभी से कुछ गांव में कर्मचारी जाकर चेतावनी दे रहे हैं कि अगर बिल जमा नहीं किया तो 15 दिन बाद उनका कनेक्शन काट दिया जाएगा। इससे वह जल्द से जल्द अपना बिल जमा कर दें।
जिले में एक मुश्त समाधान योजना लागू है। अगर जल्दी बिल जमा करेंगे तो उसके हिसाब से उसका लाभ भी मिलेगा। इस समय करीब डेढ़ लाख उपभोक्ताओं पर आठ सौ करोड़ रुपया बकाया है। उसे जमा कराने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।- संजीव कुमार, प्रभारी अधीक्षण अभियंता

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