कांवड़ पैकेज :: कश्यप ऋषि ने की थी कछला में तपस्या
कमलेश शर्मा, बदायूं रूहेलखंड मंडल का एक छोटा सा तीर्थ स्थल कछला इस समय हर किसी की जुबान पर है। अब
कमलेश शर्मा, बदायूं
रूहेलखंड मंडल का एक छोटा सा तीर्थ स्थल कछला इस समय हर किसी की जुबान पर है। अबढ़रदानी भोले की भक्ति में मस्त हो कर लाखों कांवड़िया गंगा जल भरने उमड़ रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यही है कि यहां गंगा जी है। मन में कौतूहल उठना लाजमी है कि इस स्थान की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता क्या है। तो आइये कछला से आपको परिचित कराते हैं। यहां हर दिन पर्व होता है, साधु-संतों का जमावड़ा रहता है और श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते रहते हैं। यह स्थल प्राचीन काल की जीवंत धरोहर है। गंगा जी को धरती पर लाने वाले राजा भगीरथ की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं तो कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी इला की यादें भी सहेजे हुए है। बताया जाता है कि ऋषि की पत्नी इला का अपभ्रंश ही कछला के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
गंगा जी के धरती पर अवतरण की बात तो हर कोई जानता है कि राजा भगीरथ अपने पुरुखों को तारने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी। यह बात कम ही लोगों को मालूम होगी कि कछला से कुछ दूरी पर सूकर क्षेत्र (सोरो) के करीब तपस्या स्थली है। गुफा के अवशेष अब भी विद्यमान है। वर्षों पहले सोरो के पास ही गंगा जी प्रवाहित होती थीं, धीरे-धीरे कछला की तरफ आ गईं। इतिहास में प्रमाण मिलता है कि गंगा तट पर कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी इला का आश्रम था। इला के अपभ्रंश से ही कछला बना है। यहीं पर कुष्ठाश्रम भी है जिसमें दर्जनों की संख्या में कुष्ठरोगी निवास करते हैं। गंगा मैया की कृपा से श्रद्धालु उन्हें खाने-पीने और पहनने, ओढ़ने की वस्तुएं मुहैया कराते रहते हैं। पहले यह गंगा तट बदायूं विधानसभा क्षेत्र में था, लेकिन परिसीमन के बाद बिल्सी विधानसभा क्षेत्र में शामिल हो गया है।पतित पावनी गंगा के प्रति करोड़ों लोगों की आस्था है। गंगा तट पर एक बुजर्ग संत त्रिदंडी स्वामी वर्षों से लोगों को गंगा जी की महिमा बताते आ रहे हैं। सुबह के वक्त अक्सर वह सुबह घाट पर अपशिष्ट पदार्थ बटोरते दिखाई देते हैं और वहीं माइक लगाकर लोगों को गंगा सफाई के लिए प्रेरित भी करते दिखाई देते हैं। इन्हीं के नेतृत्व में गंगा तट पर राजा भगीरथ का मंदिर बनवाने की प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी है। स्वामी जी राजा भगीरथ और कश्यप ऋषि की तपस्या स्थली की चर्चा करते हुए कहते हैं कि गंगा स्नान करना सौभाग्य की बात है, गंगा मैया के दर्शन मात्र से ही पाप धुल जाते हैं। गंगा तट पर बन रहे भगीरथ मंदिर में आ रहे व्यवधान से वह आहत हैं, वह कहते हैं कि इसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए।
नमामि गंगे से होगा कायाकल्प
गंगा घाट कछला में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। पर्यटकों की भीड़ को देखते हुए यहां पर्यटक आवास और धर्मशालाएं तो बनवाई गईं। कई मंत्रियों और विधायकों ने प्रयास भी किया, लेकिन गंगा घाट का अपेक्षित सुंदरीकरण नहीं हो सका। अब नमामि गंगे योजना में कछला गंगा घाट का कायाकल्प कराने की योजना को मंजूरी मिल चुकी है। 45 करोड़ की योजना मंजूर हुई है, लेकिन अभी बजट नहीं मिल सका है। उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार की शीर्ष योजनाओं में शामिल होने से शीघ्र ही यहां भी काम शुरू हो जाएगा।
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