Road Safety in Azamgarh : फिक्र करें वाहनों के फिटनेस की तो सफर में सलामत रहेंगी सांसें
Road Safety in Azamgarh वाहन और वाहनों में सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी। मोटर व्हीकल एक्ट में वाहनों की फिटनेस जांच को लेकर कड़े नियम हैं। ज्यादतार वाहन चालक सुरक्षा प्रणाली से अनभिज्ञ हैं। सड़क पर होने वाले अधिकांश दुर्घटनाओं की वजह बनते हैं।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : स्थान : हादसों के लिए जाना जाने वाला नेशलन हाईवे का चौराहा बवाली मोड़। समय दोपहर में 12 से दो बजे का। चौराहे से एक घंटे में करीब सौ छोटे-बड़े वाहन गुजरे। उनमें से 30 फीसद गाड़ियां बगैर फाग लाइट की नजर आईं। सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर रफ्तार भरने वाली गाड़ियों की भीड़ में रोडवेज की एक बस दिखी। मंगलवार को सिर्फ एक चाैराहे का कंपा देने वाले नजारा यह संदेश देने जैसा है, कि अबकी सर्दियों में भी हम सतर्कता को हथियार न बनाए तो मानव जीवन के फिर से राम ही मालिक होंगे ...। ऐसा नहीं कि यह अटल है, सिर्फ वाहनों के फिटनेस की फिक्र करें तो हादसों और अकाल मौतों का आंकड़ा सिमट सकता है।
क्रैश टेस्ट रेटिंग से लोग अनजान, जिससे बचती जान
क्रैश टेस्ट रेटिंग को विभिन्न वाहन कंपनियां अपने कारोबार का अहम हथियार मानती हैं। परिवहन विभाग के प्रतिसार निरीक्षक पवन सोनकर भी इसकी पुष्टि करते हैं। उनका कहना है, इसकी रेटिंग स्टार थ्री से फाइव तक होती है। वाहन खरीदने से पूर्व इससे जरूर समझना चाहिए। मोटे तौर पर समझें तो फाइव स्टार की गाड़ियां मजबूत होती हैं। हालांकि, आंकड़ों पर गौर करें तो 30 फीसद लोग ही इसके बारे में जानते हैं।
ग्राहकों को क्रैश टेस्ट रेटिंग के बारे में बताया जाए
‘कंपनी का पूरा फोकस रहता है, कि ग्राहकों को क्रैश टेस्ट रेटिंग के बारे में बताया जाए। यह बात लोगों के समझ में भी आने लगी है, लेकिन इसका आंकड़ा मेरी नजर में 50 फीसद से भी कम है। ऐसे भी लोग हैं, जो रेटिंग को तवज्जो देने के फिराक में वाहनों के मूल्य को दरकिनार कर डालते हैं।’
-प्रशांत गुप्ता, डीलर महेंद्रा कंपनी।
मौत बन दौड़ रहे 155 स्कूली वाहन
सरकारी मशीनरी कायदों का अनुपालन कराने के लिए सख्ती बरतने के दावे करती है। यह भी सत्य है, लगातार कार्रवाई भी किए जाते हैं। यातायात माह में पुलिस भी 15 दिनोें से डंडा पटक रही, लेकिन उसके बावजूद 155 स्कूली वाहन अब भी बगैर फिटनेस के रफ्तार भर रहे हैं। यह आंकड़ा परिवहन विभाग का है। 950 स्कूली वाहन हैं, जिसमें 795 ने ही फिटनेस कराया है।
बगैर फिटनेस वाली गाड़ी ने ली थी मासूम की जान
गत चार नवंबर को बगैर फिटनेस वाली स्कूली वैन ने अपने ही विद्यालय के बच्चे आद्यांश को कुचल दिया था। इस घटना के बाद भी बगैर फिटनेस वाले वाहनों की रफ़्तार कम नहीं पड़ पा रही है। 155 तो सरकारी आंकड़े में हैं, जबकि कस्बाई इलाकों में अनगिनत गाड़ियां रोजाना नजर आ जाती हैं। 65 बसों का पंजीयन आयु पूरी करने के बाद भी रफ्तार भरते मिलने पर निरस्त की जा चुकी है।
‘मैेने वैगन-आर खरीदी थी। उस समय एक ही एयर बैग होता था। लेकिन हमने गाड़ी खरीदने से पूर्व इसकी फिक्र जरूर की थी। इसकी चिंता सभी को करनी चाहिए, क्यों किे मानव जीवन अमूल्य है।’
-एके सत्येन, वाहन स्वामी।
‘यातायात माह में वाहनों के फिटनेस का हम विशेष ध्यान रखते हैं। चेकिंग टीम को इसके लिए सतर्क किया गया है। समझिए कि फिटनेस ठीक है, तभी हादसे में एयर बैग खुलेंगे। यह भी होगा सीट बेल्ट बांधने में चूक न की जाए। सर्दियों के दृष्टिगत चेकिंग में सभी बिंदुओं पर ध्यान रखा जा रहा है।’
-शक्ति मोहन अवस्थी, आइपीएस
‘वाहनों के फिटनेस को सरकार ने तकनीकि से जोड़ दिया है। ऐप के जरिए सबकुछ होता है, इसलिए सड़कों पर पहले के मुकाबले फिट गाड़ियों की संख्या बढ़ी है। बीएस-6 लग्जरी वाहनों में एबीएस (एंटी ब्रेक लाक सिस्टम) लगा आ रहा है। सौ की रफ्तार वाले वाहन को भी आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। ब्रेक लगाने पर गाड़ी का बैलेंस नहीं बिगड़ता है। पुराने टायरों पर विशेष फोकस रहता है, क्यों कि इसका सीधा संबंध बैलेंस से रहता है। टायर 50 हजार किमी. चलने या तीन साल के बाद बदल देना चाहिए।’
-पवन सोनकर, आरआइ, परिवहन विभाग।

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