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    ईमानदारी व सादगी के प्रतीक थे रामनरेश यादव

    -जयंती पर विशेष -छठवीं लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ की जनता ने बनाया था सांसद -23 जून 1977

    By JagranEdited By: Updated: Wed, 30 Jun 2021 07:41 PM (IST)
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    ईमानदारी व सादगी के प्रतीक थे रामनरेश यादव

    -जयंती पर विशेष::::::

    -छठवीं लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ की जनता ने बनाया था सांसद

    -23 जून 1977 से 15 फरवरी 1979 तक रहे यूपी के सीएम

    -मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद का दायित्व भी संभाले थे जागरण संवाददाता, अंबारी (आजमगढ़): उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रामरनेश यादव का 93वां जन्मदिन उनके पैतृक आवास आंधीपुर पर सादगी के साथ मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। स्व. यादव तीन बार विधायक, एक बार सांसद व राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

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    रामनरेश यादव का जन्म फूलपुर तहसील क्षेत्र के आंधीपुर गांव में एक साधारण किसान परिवार में 1 जुलाई 1928 को हुआ था। उनके पिता मुंशी गया प्रसाद यादव प्राथमिक पाठशाला अंबारी में शिक्षक थे। उसी विद्यालय में रामनरेश की प्राथमिक शिक्षा पूरी हुई। हाईस्कूल वेस्ली इंटर कालेज, इंटरमीडिएट की शिक्षा डीएवी कालेज वाराणसी से हुई, तो बीए, एमए एवं एलएलबी काशी हिदू विश्वविद्यालय से किया। शिक्षा पूरी करने के बाद चितामणी एंग्लो बंगाली इण्टरमीडिएट कालेज वाराणसी में तीन साल तक प्रवक्ता रहे। 1953 से 1975 तक आजमगढ़ में वकालत किया।जनता पार्टी की लहर में टिकट मिला तो 1977 में आजमगढ़ लोकसभा से सांसद बने। इसके बाद 23 जून 1977 को यूपी के मुख्यमंत्री बनाए गए। मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर निधौलीकला एटा से विधानसभा सदस्य का चुनाव जीते। मुख्यमंत्री रहते हुए इन्होंने अनेकों जनकल्याणकारी योजनाएं चलाईं। काम के बदले अनाज योजना से संपर्क मार्गों का जाल बिछाया। साढ़े तीन एकड़ तक की जमीन की लगान माफ, अनुसूचित जातियों के लिए बिना किसी जमानत के 5000 की ऋण सुविधा, खाद पर 50 फीसद की सब्सिडी, पिछड़े वर्ग के छात्रों को हाई स्कूल से एमए तक की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति सहित तमाम योजनाओं का संचालन किया। बाद में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की तो 26 अगस्त 2011 को मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।सात सितंबर 2016 तक मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे। 22 नवंबर 2016 को 89 वर्ष की उम्र में पीजीआइ लखनऊ में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।