मच्छरदानी में घुसे विषधर ने मां-बेटी को डंसा, अंधविश्वास में उलझकर मौत
आंगन में चारपाई बिछाकर मच्छरदानी के भीतर सो रही मां-बेटी के लिए सर्प काल बन गया। सर्पदंश से दोनों की मौत हो गई।
आजमगढ़ (जेएनएन)। आंगन में चारपाई बिछाकर मच्छरदानी के भीतर सो रही मां-बेटी के लिए सर्प काल बन गया। सर्पदंश से दोनों की मौत हो गई। हालांकि दोनों को झाड़-फूंक की जगह अगर चिकित्सकीय मदद मिलती तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था।
तरवां थाना क्षेत्र के नवरसिया दशवतपुर ग्राम निवासी सल्टू राजभर के गांव में दो मकान हैं। सल्टू की पत्नी शीला (42) बुधवार रात इकलौती पुत्री प्रीति (12) के साथ आंगन में सो रही थीं। चारपाई पर मच्छरदानी लगी थी। भोर में किसी समय काल बना सर्प न मालूम कैसे मच्छरदानी में घुसा और पहले प्रीति को काटा। प्रीति को इसका पता नहीं चला मगर जब शीला भी सर्पदंश का शिकार हुईं तो उनकी नींद खुल गई। उन्होंने भाग रहे सर्प को देखकर शोर मचाया। इसके बाद परिवार के लोग पीडि़त शीला को लेकर जिले की सीमा पर स्थित अमवा की सती माई स्थान के लिए चल दिए। यहां की मान्यता के अनुसार सर्पदंश के मामले में पति-पत्नी का साथ रहना वर्जित है। इस नाते गांव वालों के कहने पर सल्टू घर पर रुक गए।
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कुछ देर बाद चारपाई पर सो रही प्रीति के मुंह से झाग निकलता देख परिजनों को संदेह हुआ। हैरान सल्टू गांव के एक व्यक्ति की मदद से बाइक पर बेहोश बेटी को भी लेकर अमवा की सती माई स्थान के लिए भागे मगर रास्ते में ही प्रीति ने दम तोड़ दिया। बेटी का शव ले सल्टू जब धाम में पहुंचे तो वहां उनके सामने ही पत्नी ने भी दम तोड़ दिया। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक मंडलीय अस्पताल डा. जीएल केशरवानी ने बताया कि आज भी तमाम लोग अंधविश्वास में जकड़े हैं। समय रहते मां-बेटी को उपचार मिलता तो शायद उनकी जान बच सकती थी। अस्पतालों में एंटी स्नैक इंजेक्शन की उपलब्धता के बाद भी पीडि़तों को चिकित्सकों के पास न ले जाना जानलेवा साबित हो रहा है। अंधविश्वास छोड़ तात्कालिक उपचार जरूर कराना चाहिए।