धान की फसल में हर्दिया रोग और गंधी बग का प्रकोप, 25 से 35 प्रतिशत प्रभावित हो सकती है उपज
आजमगढ़ में बदलते मौसम से धान की फसल पर हर्दी रोग और गंधी बग कीट का खतरा मंडरा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने खेतों में नमी उच्च तापमान और नाइट्रोजन की अधिकता के कारण होने वाले रोगों से सतर्क रहने की सलाह दी है। हर्दी में दाने दोगुने हो जाते हैं जबकि गंधी बग कीट दूधिया रस चूसते हैं।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। बदलते जलवायु की वजह से कभी बारिश तो कभी धूप व कभी-कभी वातावरण में नमी का प्रतिशत बढ़ जा रहा है। आजकल खेतों में नमी खूब है। इस समय ज्यादातर धान की फसल में बालियां निकल रही हैं और फूल आ रहे हैं।
जिसमें दाने बनने के लिए दूधिया रंग के द्रव का निर्माण हो रहा है। बारिश होने और आद्रता (नमी) 85 से 90 प्रतिशत से अधिक होने एवं तापमान 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड होने के कारण और मिट्टी में अधिक नत्रजन प्रयोग करने से हर्दिया रोग तथा गंधी बग कीट का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के वरिष्ठ विज्ञानी एवं अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने बताया कि हर्दिया रोग व गंधी बग कीट से बचाव के लिए अभी से सतर्कता बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर्दिया रोग फंफूद के द्वारा होता है। इस रोग के स्पोर (बीजाणु) सेवई घास पर तथा पूर्ववर्ती प्रभावित धान के अवशेषों पर मिट्टी में पलते बढ़ते हैं और अनुकूल वातावरण मिलने पर धान में फूल बनने व बालियां निकलने के समय प्रभावित करता है।
रोग से प्रभावित धान के दाने दोगुने से हो जाते बड़े
-पौध सुरक्षा विज्ञानी डा. महेंद्र प्रताप ने बताया कि तीन से चार दिनों तक रिमझिम बारिश, फुहार पड़ने, बदली छाई रहने और हवाओं के चलने से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचकर धान की बालियों को नुकसान पहुंचाता है। सर्वप्रथम रोगी बालियों के दाने पीले रंग से लेकर संतरे के रंग के हो जाते हैं, जो बाद में परिपक्व होने पर जैतूनी या काले रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। रोग से प्रभावित धान के दाने दोगुने से बड़े हो जाते हैं। जिसके चलते धान की बालियों का दाना पीले पाउडर में बदल जाता है। सामान्यतया धान की बाली में कुछ दाने रोगी होते हैं। लेकिन रोग की आक्रामकता अधिक होने पर रोगग्रस्त दानों की संख्या अधिक भी हो सकती है। जिससे धान की उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है 25 से 35 प्रतिशत उपज प्रभावित हो सकती है।
क्या करें किसान
इस समय हर्दिया रोग से बचाव के लिए अपने खेतों को साफ सुथरा रखें। खरपतवारों तथा पूर्ववर्ती फसल अवशेषों को एकत्रित कर नष्ट कर देना चाहिए। दवाओं के छिड़काव के लिए कल्ले बनते समय कापर हाइड्रोक्साइड 77 प्रतिशत डब्ल्यू पी की एक ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से और बालियां निकलने के समय जब 50 प्रतिशत बालियां बाहर आ गई हो तो प्रापिकानाजोले 25 प्रतिशत ईसी की एक मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
ऐसे पहचाने गंधी बग कीटों को
धान की फसल के गंधी बग कीटो का प्रकोप भी देखा जा रहा है। व्यस्क कीट 15 मिली मीटर लंबा भूरे रंग का होता है। इसका प्रमुख पहचान कीटों से आने वाली दुर्गंध है। इस कीट के प्रौढ़ तथा शिशु धान की बालियों में बन रहे दूधिया दानों का रस चूस कर हानि पहुंचाते हैं ।
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