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    ज्यादा ब्याज का लालच देकर 150 लोगों से करोड़ों की ठगी, नौ के खिलाफ केस दर्ज

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 02:23 PM (IST)

    आजमगढ़ में एलयूसीसी कंपनी पर 150 लोगों से तीन करोड़ की ठगी का आरोप लगा है। अरविंद जायसवाल ने कोर्ट के आदेश पर कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। आरोप है कि कंपनी ने आकर्षक ब्याज दरों का लालच देकर लोगों से पैसे ठगे। पुलिस ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है।

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    आकर्षक ब्याज दरों का लालच देकर 150 लोगों से तीन करोड़ की ठगी।

    जागरण संवाददाता, आजमगढ़। जिले में एक बड़े ठगी के मामला प्रकाश में आया है। शहर कोतवाली के पांडेय बाजार निवासी अरविंद जायसवाल ने एलयूसीसी (दी सोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी) कंपनी के अधिकारियों और जोनल हेड पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराई है।

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    आरोप है कि कंपनी के नाम पर संगठित गिरोह ने आकर्षक ब्याज दरों का लालच देकर करीब 150 लोगों से तीन करोड़ रुपये ठग लिए। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

    अरविंद दी तहरीर में बताया है कि कंपनी के नाम पर संगठित गिरोह ने आकर्षक ब्याज दरों का लालच देकर करीब 150 लोगों से तीन करोड़ रुपये ठग लिए। पुलिस मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अरविंद जायसवाल ने अपनी शिकायत में बताया कि वर्ष 2014 में उनके सोनभद्र निवासी मामा ससुर शत्रुघ्न प्रसाद, मऊ निवासी उमेश चंद्र जो कंपनी के जोनल हेड उनके घर आए।

    कंपनी के विभिन्न योजनाओं को बताते हुए अपने झांसा देकर रुपये इनवेस्ट करने को कहा। उन्होंने बताया कि एक साल डीडी पर पांच प्रतिशत ब्याज, तीन साल की आरडी पर 12 प्रतिशत, दो साल की एफडी पर सात प्रतिशत ब्याज के साथ मुनाफा मिलेगा।

    पांच साल की एफडी पर दोगुना रिटर्न मिलेगा। साथ ही, कंपनी का एटीएम कार्ड और बनारस जैसे शहरों में एटीएम मशीनें उपलब्ध होने का दावा किया। उनकी बातों के झांसे में आकर कंपनी में पैसा निवेश किया।

    बाद में उनके भाई विजय जायसवाल और दोस्त आदित्य प्रसाद ने भी निवेश किया। इसके बाद शत्रुघ्न और उमेश चंद्र ने अरविंद को बेरोजगार बताते हुए कंपनी की फ्रेंचाइजी लेने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि दो लाख रुपये देकर फ्रेंचाइजी मिल जाएगी, ट्रेनिंग से लेकर सब कुछ कंपनी संभाल लेगी।

    अरविंद ने बातों में आकर दो लाख नकद दे दिया। एक जून 2016 को फ्रेंचाइजी के दस्तावेज मिले। इसके बाद उन्होंने दुकान किराए पर ली और उद्घाटन समारोह में कंपनी के निदेशक महाराष्ट्र निवासी समीर अग्रवाल, आरती बंसल, अनुराग बंसल, सबाब हुसैन, आरके सेट्टी, संजय मुदगिल और राजेश टैगोर शामिल हुए।

    कंपनी का साफ्टवेयर सिस्टम में इंस्टाल किया गया और UP-39 कोड दिया गया। शुरुआत में सब कुछ सामान्य रहा। 26 नवंबर 2024 को कंपनी का साफ्टवेयर अचानक बंद हो गया। सॉफ्टवेयर बंद होने से पहले मेरा और स्थानीय 150 लोगों का करीब तीन करोड़ रुपये कंपनी में जमा हुआ था।

    अरविंद ने शत्रुघ्न प्रसाद और उमेश चंद्र से संपर्क किया तो उन्होंने ट्रैफिक ज्यादा होने का बहाना बनाया और कहा कि जल्द ठीक हो जाएगा। बाद में संपर्क करने पर आरोपियों ने गाली-गलौज की और जान से मारने की धमकी दी।

    अरविंद का आरोप है कि यह सभी आरोपित एक संगठित गिरोह हैं, जो फर्जी दस्तावेजों और झूठे वादों से भोले-भाले लोगों को फंसाते हैं। उन्होंने थाने में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर पुलिस अधीक्षक को रजिस्टर्ड पोस्ट से सूचना दी, लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई।

    आखिरकार, छह मार्च 2025 को सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना-पत्र दाखिल किया। कोर्ट के आदेश पर 13 सितंबर 2025 को कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। मामले की जांच उपनिरीक्षक रमेश राम को दिया गया है।

    कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया । मामले जांच कर विधिक कार्रवाई की जाएगी। -यादवेंद्र पांडेय, कोतवाल।