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    भगत सिंह के भांजे प्रो जगमोहन सिंह ने कहा - 'भगत सिंह के इंकलाब का बीज आजमगढ़ की माटी में जीवित'

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Mon, 01 Dec 2025 12:25 PM (IST)

    भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह ने आजमगढ़ में कहा कि भगत सिंह के इंकलाब का बीज आज भी यहां की मिट्टी में जीवित है। उन्होंने भगत सिंह को एक विचारधारा बताया जो युवाओं को प्रेरित करती है। उन्होंने आजमगढ़ की धरती को क्रांतिकारियों की धरती बताते हुए युवाओं से भगत सिंह के सपनों को साकार करने का आह्वान किया।

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    बलिदान एवं संघर्षों के बेमिसाल 100 साल मनाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। 

    जागरण संवाददाता, आजमगढ़। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आजमगढ़ में रविवार को देर शाम तक पार्टी के बलिदान एवं संघर्षों के बेमिसाल 100 साल मनाते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया। इस अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन नेहरू हॉल में नौजवान भारत सभा की शताब्दी पर "भगत सिंह के विचारों की प्रासंगिकता" विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता कॉमरेड हरिमंदिर पाण्डेय ने की, जबकि संचालन भाकपा जिला सचिव जितेंद्र हरि पाण्डेय ने किया।

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    गोष्ठी के मुख्य वक्ता शहीद भगत सिंह के भांजे, शहीद भगत सिंह शताब्दी फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं पंजाब एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय लुधियाना में कंप्यूटर साइंस के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो जगमोहन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भगत सिंह के इंकलाब का बीज आजमगढ़ की माटी में जीवित है। उन्होंने शिब्ली मंजिल, राहुल जन्म स्थान पंदहा और निजामाबाद गुरुद्वारे का उल्लेख करते हुए कहा कि भगत सिंह का विचार आज भी प्रासंगिक है। प्रो जगमोहन ने बताया कि भगत सिंह ने 23 साल की उम्र में 350 किताबों का अध्ययन किया था और उनका मानना था कि युवाओं को अध्ययन करना चाहिए ताकि वे हर सवाल का जवाब दे सकें।

    भगत सिंह की सोच में मुख्यतः पांच बातें थीं: धर्म के जुनून से मुक्ति, जाति से मुक्ति, महिलाओं की आजादी, समाज में गैरबराबरी का अंत और पूंजीवाद का खात्मा। उन्होंने यह भी कहा कि संघ और बीजेपी गांधी और नेहरू को कमतर करके अपने को ऊंचा दिखाना चाहते हैं, जबकि भगत सिंह समाज को एक सूत्र में जोड़ने का प्रयास कर रहे थे। प्रो जगमोहन ने कहा कि आजमगढ़ की यात्रा उनके लिए कोई तीर्थ यात्रा नहीं, बल्कि एक क्रांति यात्रा रही है।

    भाकपा राज्य सचिव अरविंद राज स्वरूप ने कहा कि भगत सिंह 1917 की रूसी क्रांति से बहुत प्रभावित थे। यदि भगत सिंह को फांसी नहीं दी गई होती, तो वे कम्युनिस्ट पार्टी में होते। उनका प्रिय नारा "इंकलाब जिंदाबाद" था, जिसका अर्थ सामाजिक परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि आज जो है, वह कल नहीं रहेगा, यही कार्ल मार्क्स का सिद्धांत है।

    जौनपुर से आए अधिवक्ता जयप्रकाश सिंह ने कहा कि समाज में बदलाव के लिए भगत सिंह की तरह किताबें पढ़नी होंगी। उन्होंने भगत सिंह की जेल डायरी "मैं नास्तिक क्यों हूं" का उल्लेख किया, जिसमें समग्र दर्शन है।

    समाजवादी पार्टी से आजमगढ़ के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि आजमगढ़ समाजवादियों की धरती रही है। यहां के लोग हमेशा फासिस्टवादी ताकतों का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर आने वाले दिनों में कार्पोरेट परस्त और किसान-मजदूर विरोधी बीजेपी को उत्तर प्रदेश की सरकार से हटाएंगे।

    इस कार्यक्रम में भाकपा से जुड़े स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के परिजनों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर इम्तेयाज बेग, रामाज्ञा यादव, गंगादीन, दयाशंकर राय, गुलाब मौर्य, बालेदीन यादव, राम अवध यादव, हरिगेन, गोपाल, रामावतार सिंह, प्रकाश सेठ, सुनील कुमार यादव, राम टहल, संजय कुमार, राजनाथ राज, अशोक कुमार यादव, रमेश कुमार आदि को सम्मानित किया गया।