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    भक्काटा के शोर से गूंजा आसमान, खूब लड़ी पेंच

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 15 Jan 2019 12:03 AM (IST)

    आजमगढ़ : मकर संक्रांति पर आसमान में पेंच लड़ाने के लिए सोमवार को शहर के स्थाई दुकान व अस्थाई दुकानों पर पतंग और डोर की खूब बिक्री हुई। इस बार लोगों में ...और पढ़ें

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    भक्काटा के शोर से गूंजा आसमान, खूब लड़ी पेंच

    जासं, आजमगढ़ : मकर संक्रांति पर आसमान में पेंच लड़ाने के लिए सोमवार को शहर के स्थाई दुकान व अस्थाई दुकानों पर पतंग और डोर की खूब बिक्री हुई। इस बार लोगों में मकर संक्रांति भी 14 व 15 जनवरी को दो दिन मनाने को लेकर संशय रहा। वहीं कुछ लोगों ने 14 जनवरी यानी सोमवार को ही मकर संक्रांति मना ली। लोगों ने पतंगबाजी भी की और मैदानों में गिल्ली-डंडे भी खेले। बच्चों में पतंगबाजी के लिए खासा उत्साह देखा गया। आसमान भक्काटा के शोर से दिनभर गूंजता रहा। बच्चों में अपनी-अपनी पसंद की पतंग, डोर की चकरियां खरीदी। दूसरी तरफ चूड़ा व लाई की दुकानों पर लोगों का रेला लगा रहा। कुछ हिस्सों में आज भी मकर संक्रांति मनाई गई जबकि ज्यादातर हिस्सों में लोग मंगलवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे।

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    आसमान में इठलाती सतरंगी पतंगें, घरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में भक्काटे की आवाज दिनभर गूंजती रही। यह सिलसिला सुबह से लेकर दिन ढलने तक चलता रहा। पतंगें जमीन से लेकर आसमान में उड़ती रहीं। एक-दूसरे की पतंग को काटने, पेंच लड़ाने की होड़ मची रही। इस पर्व पर युवा, बुजुर्ग, बच्चों और महिलाओं, सभी ने हाथ आजमाए। पतंगबाज कभी-कभी पतंग को जमीन तक ले आते थे और अचानक फिर से मांझे पर झटका देते ही आसमान की ओर उड़ान भर लेती थी। छतों पर मस्ती के साथ लोगों ने पतंग उड़ाया। एक-दूसरे की पतंग काटने की होड़ मची थी। एक कटी नहीं की दूसरी को 'छोड़इया' दे दी जाती थी। जैसे ही दूसरे की पतंग कटती, भक्काटे की आवाज गूंज उठती। कटी पतंग को लूटने वाले भी पीछे नहीं थे। पूरे दिन दुकानों पर पतंगों और मांझे की खरीदारी होती रही।