Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    1857 में 81 दिन तक आजाद रहा आजमगढ़

    आजमगढ़ : 1857 की प्रथम क्रांति के समय जिले की जनता ने अपूर्व साहस, त्याग और बलिदान का परिचय ि

    By JagranEdited By: Updated: Thu, 09 Aug 2018 12:32 AM (IST)
    1857 में 81 दिन तक आजाद रहा आजमगढ़

    आजमगढ़ : 1857 की प्रथम क्रांति के समय जिले की जनता ने अपूर्व साहस, त्याग और बलिदान का परिचय दिया, जो देश के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में स्वर्ण अक्षर में अंकित रहेगा। इससे देश की आजादी को अक्षुण्ण रखने वाले देशवासियों को भविष्य में सतत प्रेरणा मिलती रहेगी। इस जिले के एक-एक इंच जमीन पर अधिकार के लिए अंग्रेजों को नाको चने चबाने पड़े थे। अनेक कठोर व भीषण युद्ध करने पड़े। 1857 में 81 दिनों तक जिला आजाद रहा जिसका गवाह अंग्रेजों के जमाने की जेल और उसकी बैरकें आज भी गवाह हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेरठ से उठने वाली प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की लहर ने दिल्ली से लेकर जनपद तक को उद्वेलित कर दिया था। तीन जून 1857 में क्रांतिकारियों ने जेल के फाटक को तोड़ दिया और अपने साथियों व बंदियों को आजाद कराया। उसके बाद विप्लवी सेना में शामिल कर लिया। यह लड़ाई मुख्य रूप से जिला मुख्यालय मंदुरी, अतरौलिया, कोयलसा, मेघई सहित जिले के कई हिस्सों में रही। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने जिले को तीन बार तीन जून 1857 से 25 जून 1857, 18 जुलाई 1857 से 26 अगस्त 1857 और 25 मार्च 1858 से 15 अप्रैल 1858 तक यानि कुल 81 दिन कंपनी राज से आजाद कराया था। इसी से प्रभावित होकर वीर कुंवर ¨सह जनपद की आजादी की लड़ाई में आए थे। 1857 में जाति-धर्म, भाषा व क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग-ए-आजादी में देश के लोगों ने भाग लिया था। उस एकता से ब्रिटिश साम्राज्यवादी शक्ति की चूलें हिल गईं थीं और कंपनी राज की जगह ब्रिटिश राज भारत की सत्ता की कमान संभालनी पड़ी थी। फिर भी भविष्य में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बढ़ते आक्रोश ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। यही कारण है कि 1857 की क्रांति की याद आते ही जिले के लोगों को सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, क्योंकि इसी दिन जिले के वीर सपूतों ने जनपद को कंपनी राज से मुक्त कराया था, भले की कुछ ही दिनों के लिए ही पर इतिहास के पन्ने में यह स्वर्णिम अक्षर से अंकित है। अंग्रेजी सेना के समक्ष वीरों सपूतों की इस जंग की एक एक दास्तान आज भी यहां गुने व बुने जाते हैं।