सर्प दंश पर सीधे पहुंचे अस्पताल
आजमगढ़: पुराने जमाने में सांप के काटने से ज्यादातर लोग बिना सही इलाज के ही मर जाते थे। लोगों को यह
आजमगढ़: पुराने जमाने में सांप के काटने से ज्यादातर लोग बिना सही इलाज के ही मर जाते थे। लोगों को यह पता ही नहीं था कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। आज भी बहुत कम लोगों को मालूम है कि अधिकतर सांप जहरीले नहीं होते हैं। आम तौर पर सर्पदंश में ज्यादातर मौतें डर और नासमझी से होती हैं।
अक्सर यह कहा जाता है कि सांप का जहर दिल और मस्तिष्क तक पहुंचने या पूरे शरीर तक फैलने में लगभग तीन से चार घंटे का समय लेता है। उसके बाद धीरे-धीरे विष का असर पूरे शरीर में होने लगता है। इस दौरान आप जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचे और एहतियातन बिना समय गंवाए डाक्टर के पास ले जाने की तैयारी के बीच कुछ घरेलू इलाजों के मदद से विष के प्रभाव को थोड़ा कम कर सकते हैं। हालांकि घरेलू उपचार के चक्कर में समय बर्बाद कतई न करें।
सांप काटने ऐसे करें प्राथमिक उपचार
पहले मरीज को 100 एमएल लगभग आधा कप घी खिलाकर उल्टी करवाने की कोशिश करें। अगर उल्टी न हो तो दस-पंद्रह मिनट के बाद गुनगुना पानी पिलाकर उल्टी करवाएं। इससे विष के निकल जाने या असर के कम होने की संभावना होती है।
-तुअर दाल का जड़ पीसकर रोगी को खिलाने से भी इन्फेक्शन या विष का असर कम होता है।
-कंटोला दो तरह का होता है। एक में फूल और फल दोनों होता है और दूसरे में सिर्फ फूल आता है उसको बांझ कंटोलाष कहते हैं। उसका कंद घिसकर सर्पदंश वाले जगह पर लगाने से विष का असर या इन्फेक्शन की संभावना कम होती है।-लहसुन तो हर किचन में मिल जाता है। उसको पीसकर पेस्ट बना लें और सर्पदंश वाले जगह पर लगाएं या लहसुन के पेस्ट में शहद मिलाकर खिलाने या चटवाने से इन्फेक्शन कम हो जाता है।
सांप काटने पर यह करें
सांप काटने पर पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले सीधा लेटा देना चाहिए। उसे ढांढस बंधाना चाहिए जिससे वह घबराए नहीं। इसी बीच पीड़ित
व्यक्ति को अस्पताल ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसमें एक क्षण का भी विलम्ब पीड़ित व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है।
-सांप काटने पर पीड़ित व्यक्ति को किसी ओझा, तांत्रिक अथवा
सिद्ध बाबा के पास कदापि नहीं ले जाना चाहिए और न ही उसका उपचार किसी जड़ी आदि से करवाने के चक्कर में पड़ें। याद रखें कि सांप के जहर का एकमात्र उचार एन्टीवेनम ही है।
-यदि पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल ले जाने की व्यवस्था में कुछ विलम्ब हो तो सबसे पहले काटे गये स्थान पर सांप के निशान देखने की कोशिश
करें। आमतौर पर विषदंत के दो गहरे निशान पीड़ित के शरीर पर पाए जाते हैं। लेकिन इसके साथ ही साथ उसके आसपास कई छोटे और हल्के निशान भी हो सकते हैं।
-यदि विषदन्त के निशान बहुत हल्के और छोटे हों तथा उन्हें देखने पर उल्टे यू अक्षर का बोध होता हो, तो वह निशान किसी विषहीन सांप के
हो सकते हैं। हालांकि इसका आकलन कोई विशेषज्ञ ही कर सकता है। इस तरह के निशान के आधार पर आप कोई बड़ा निर्णय कतई न लें।
-यदि अस्पताल ले जाने में विलम्ब हो तो सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति के शरीर से जूते, अंगूठी, कड़ा, कंगन, पायल आदि चीजें उतार देना चाहिए क्योंकि जहर के फैलने पर हाथ-पैरों में सूजन हो सकती है। ऐसे में इन वस्तुओं के कारण शरीर के उस हिस्से का रक्त प्रवाह बाधित हो सकता
है।
-सांप के काटे गए स्थान को साफ कर दें और यदि काटा गया भाग
हाथ या पैर है तो लकड़ी की खपच्चियों के सहारे उसको सीधा करके बांध दें। ऐसा करने पर पीड़ित व्यक्ति उस अंग को बार-बार मोड़ नहीं सकेगा और शरीर में विष तेजी से नहीं फैल सकेगा।
-यदि पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो गया है तो थोड़े-थोड़े समय पर उसकी सांस देखते रहें और उसे उसे गर्म रखने का प्रयत्न करें।
सांप काटने पर यह न करें
-सांप के काटने पर झाड़-फूूंक और जड़ी-बूटी आदि के द्वारा इलाज
के चक्कर में समय न गंवाएं क्योंकि सर्पदंश के मामले में एक क्षण की भी
देरी पीड़ित के लिए मौत का सबब बन सकती है।
-सांप के काटे गये स्थान पर ब्लेड/चाकू से काट कर घाव को खोलने की कोशिश न करें और न ही मुंह से चूसकर •ाहर निकालने का प्रयत्न न करें।
ऐसा करना हो सकता है घातक
-सांप द्वारा काटे गये स्थान के आसपास बहुत कस कर पट्टी न
बांधें और न ही पीड़ित व्यक्ति को चाय, काफी अथवा मदिरा आदि को पिलाने का प्रयत्न करें।
-सांप दंश पर काटने वाले सांप की खोजबीन करके उसे पकड़ने की कोशिश न करें।
-पीड़ित व्यक्ति को दर्द से तड़पता देखकर उसे अपने मन से कोई
दवा विशेष एस्प्रिन वगैरह कदापि न दें न ही कोई दादी-नानी का नुस्खा उस पर आजमाएं।
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जिला अस्पताल में एंटीबेनम के 200 के स्टाक रखे हुए हैं। इसमें से दस एंटीबेनम इमरजेंसी में हमेशा रखे रहते हैं। जहरीले जन्तुओं के काटने पर मरीजों को लगाया जा रहा है।
-डा. बीराम : प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक।
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